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शनिवार, 10 मार्च 2018

अफवाह

अफवाह

किसी गांवमें एक ब्राह्मन रहता था|वह हमेशा पूजा पाठ मेंलगा रहता था| एक दिन वह रोज की तरह पूजा पाठ मेंलगा हुआ था| ब्राह्मन को लगा कि उसकेमुंह में कुछ है| ब्राह्मन नेजबअंगुली डाल कर उसेबाहर निकाला तो देखा कि यह एक चिड़िया का छोटा सा पंख है| ब्राह्मन को चिड़िया केपंख को देख कर बहुत हैरानी हुई|पूजा केबाद जबब्राह्मन अपनेघर गया तोउसने यह हैरानी वाली बात अपनी पत्नी को बताई| साथ मेंयह बात किसी को नहीं बतानेकी हिदायत दी| उसकी पत्नी नेकहा ठीक है में किसी को भी नहींबताउगी|यह बात सुन कर ब्राह्मन पत्नी भी काफी हैरान हुई| कुछ समय केबादब्राह्मन पत्नी सेयह बात पचाईनहींगई|उसनेयह बात अपनी एक सहेली को यह कहकर बता दी कि वह यह बात किसी को नहीं बताएगी|ब्राह्मन पत्नी सेकहनेमेंया उसकी सहेली केसुननेमें फरक रह गया|उसने बहुत सेपंख कह दिए या बहुत से पंख सुन लिए|ब्राह्मन पत्नी की सहेली नेयह बात आगेअपनी सहेली को बता दी|दोनोंकेकहनेमेंया सुननेमें फिर फरक रह गया और उसकी सहेली ने पूरी चिड़िया ही सुन लिया|धीरेधीरे शामतक यह अफवाह गांवसेबाहर तक फ़ैल गईऔर एक पंख के बजाय कई पंखों मेंफिर पूरी चिड़िया मेंफिर कई चिड़ियोंमेंबदल गयी| शामको सभी गांववाले मिल कर यह चमत्कार देखनेकेलिए ब्राह्मन के घर आये और ब्राह्मन सेचमत्कार दिखाने को कहा| ब्राह्मन नेबहुत समझानेकी कोशिश की पर कोई भी माननेको तैयार नहींहुआ|आखिर में ब्राह्मन नेकहा ठीक हैआप सभी लोग बैठ जाओ मेंअभी आता हूँ|यह कह कर ब्राह्मन पीछे के रास्तेसेघर सेबाहर चला गया और कई दिन वापस नहींआया|जबवह वापस आया तो सारी अफवाह ठंडी पड़ गई थी| इसी लिए कहते हैंकि जिस बात को आप छुपाना चाहतेहैंउस बात कोकिसी को बताना नहीं चाहिए चाहेवह कितना ही विश्वास पात्र क्योंन हो|

समाप्त

Pawan Panchariya ke alfaz 2018 bina soche smjhe

बिना सोचेसमझे

एक समय शहर से कुछ ही दूरी पर एक मंदिर का निर्माण कैया जा रहा था। मंदिर में लकडी का कामबहुत थ इसलिए लकडी चीरनेवालेबहुत सेमजदूर कामपर लगेहुए थे। यहां-वहांलकडी केलठ्टेपडेहुए थेऔर लठ्टेवशहतीर चीरनेका काम चल रहा था। सारेमजदूरों को दोपहर का भोजन करनेके लिएशहर जाना पडता था,इसलिए दोपहर केसमय एक घंटेतक वहांकोई नहींहोता था। एक दिन खाने का समय हुआ तोसारे मजदूर कामछोडकर चल दिए। एक लठ्टा आधा चिरा रह गया था। आधेचिरेलठ्टे में मजदूर लकडी का कीला फंसाकर चले गए। ऐसा करनेसेदोबारा आरी घुसानेमें आसानी रहती हैं। तभी वहां बंदरोंका एक दल उछलता-कूदता आया। उनमें एक शरारती बंदर भी था,जो बिना मतलबचीजोंसे छेडछाडकरता रहता था। पंगेलेना उसकी आदत थी। बंदरोंकेसरदार नेसबको वहां पडी चीजोंसेछेडछाडन करनेका आदेश दिया। सारेबंदर पेडोंकी ओर चल दिए, पर

गया और लगा अडंगेबाजी करने। उसकी नजर अधचिरे लठ्टेपर पडी। बस,वह उसी पर पिल पडा और बीच मेंअडाए गए कीलेको देखने लगा। फिर उसनेपास पडी आरी को देखा। उसेउठाकर लकडी पर रगडनेलगा। उससे किर्रर्र-किर्रर्र की आवाज निकलने लगी तो उसनेगुस्सेसे आरी पटक दी। उन बंदरो की भाषा में किर्रर्र-किर्रर्र का अर्थ ‘निखट्टू’था। वह दोबारा लठ्टेकेबीच फंसे कीले को देखनेलगा। उसकेदिमाग में कौतुहल होनेलगा कि इस कीलेकोलठ्टेके बीच में सेनिकाल दिया जाएतो क्या होगा?

अबवह कीले को पकडकर उसेबाहर निकालनेके लिए जोर आजमाईश करने लगा। लठ्टेके बीच फंसाया गया कीला तो दो पाटों केबीच बहुत मजबूती सेजकडा गया होता हैं,क्योंकि लठ्टेके दो पाट बहुत मजबूत स्प्रिंग वालेक्लिप की तरह उसेदबाएरहते हैं। बंदर खूब जोर लगाकर उसे हिलाने की कोशिश करनेलगा। कीला जोज्र लगानेपर हिलनेवखिसकनेलगा तो बंदर अपनी शक्ति पर खुश हो गया। वह और जोर से खौं-खौंकरता कीला सरकानेलगा। इस धींगामुश्ती के बीच बंदर की पूंछ दो पाटोंके बीच आ गई थी,जिसका उसे पता ही नहीं लगा। उसने उत्साहित होकर एक जोरदार झटका मारा और जैसेही कीला बाहर खिंचा, लठ्टेके दो चिरेभाग फटाक सेक्लिप की तरह जुड गएऔर बीच मेंफंस गई बंदर की पूंछ। बंदर चिल्ला उठा। तभी मजदूर वहां लौटे। उन्हेंदेखते ही बंदर नी भागनेके लिए जोर लगाया तो उसकी पूंछ टूट गई। वह चीखता हुआ टूटी पूंछ लेकर भागा। सीखः बिना सोचे-समझे कोई कामन करो।

घमंडी का शर नीचा

घमंडी का शरनीचा

बहुत समय पहलेकी बात है,कहींसे एक संत एक गांव मेंआये, गांवकी चारदीवारी के अन्दर एक पीपल केपेड़ केनीचेधूनी रमाकर रहनेलगेऔर भगवान का भजन करनेलगे, धीरे-धीरेगांववालेभी उनकी शरण मेंआने लगे,गांववालोंने उनकेलिए एक झोपड़ी भी बनवा दी, कुछ ही समय मेंसाधूबाबा मशहूर होगए,उसी गांव मेंएक सेठभी रहता था जो काफी घमंडी था,वह बाबा सेचिढ़ता था और कहता था कि बाबा तो ढोंगी है,ढोंग करता रहता है,उसनेकहा कि अगर बाबा सच्चा है तोदेवी के शेर को बुलाकर दिखाए, जबलोगों नेबाबा को यह बात बताई तो बाबा नेकहा अगर उसकी यही इच्छा हैतो उसेमें अपने ठाकुर जी सेकह कर शेर केदर्शन करा दूंगा,अगलेदिन बाबा जंगल मेंजाकर बड़े दीन भावसेअपनेठाकुर जी को पुकारनेलगे भक्त की लाज रखनेको प्रभु शेर केरूप में दर्शन दो,दर्शन दो प्रभु,इतनेमेंएक दहाड़ता हुआ शेर प्रकट हुआ और बाबा जी केपास आगया,बाबा जी नेउसेअपनेकपडे सेबांध लिया और कहा चलो प्रभु मेरेसाथ, शेर बाबा केसाथ ऐसेचल रहा था जैसेपाली हुईबकरी,शेर को आता हुआ देख कर द्वारपाल नेडर सेगांवकेदरवाजेबंदकर दिए,शेर दरवाजा खोल कर बाबा केसाथ अन्दर आगया,जैसेही बाबा शेर को लेकर सेठ के घर केआगे आए सेठ दरवाजेबंद करकेछिप गया,बाबा ने कहा दरवाजा तो बंदकर दिया है,इसनेतो आपकेदर्शन भी नहींकिये,शेर ने पंजा मारा और दरवाजा खोल दिया, बाबा जी शेर के साथ अन्दर चले गएऔर बोलेसेठ जी आप नेशेर सेमिलना था तो मेंले आया हूँ लो देख लो,यह देख कर सेठ जोर जोर सेरोने लगा और बाबा जी के चरणोंमेंगिर पड़ा और मांफी मांगने लगा, सेठ दोनोंहाथोंको जोड़ कर आखें मूंद,सर झुका कर शेर केआगे खड़ा हो गया,इतनेमें बाबा और शेर दोनों ही गायबहोगए,शेठ का सर नीचा ही रह गया,इसी लिए कहतेहैं की घमंडी का सर नीचा,

Pawan Panchariya ke alfaz 2018 chor or raja

चोरऔरराजा

किसी जमानेमें एक चोर था। वह बडा ही चतुर था। लोगोंका कहना था कि वह आदमी की आंखोंका काजल तक उडा सकता था। एक दिन उस चोर नेसोचा कि जबतक वह राजधानी मेंनहीं जायगा और अपना करतब नहींदिखायगी,तबतक चोरोंकेबीच उसकी धाक नहीं जमेगी। यह सोचकर वह राजधानी की ओर रवाना हुआ और वहांपहुंचकर उसने यह देखनेके लिए नगर का चक्कर लगाया कि कहां कया कर सकता है। उसने तय कि कि राजा के महल सेअपना काम शुरूकरेगा। राजा नेरातदिन महल की रखवाली केलिए बहुतसे सिपाही तैनात कर रखेथे। बिना पकडेगयेपरिन्दा भी महल मेंनहींघुस सकता था। महल मेंएक बहुत बडी घडींलगी थी, जो दिन रात का समय बताने केलिएघंटे बजाती रहती थी। चोर नेलोहेकी कुछ कीलें इकठटी कीं ओर जबरात को घडी ने बारह बजायेतो घंटेकी हर आवाज केसाथ वह महलकी दीवार मेंएकएक कील ठोकता गया। इसतरह बिना शोर कियेउसनेदीवार मेंबारह कीलेंलगा दीं, फिर उन्हेंपकड पकडकर वह ऊपर चढ गया और महलमें दाखिल हो गया। इसकेबादवह खजानेमें गया और वहांसेबहुत सेहीरेचुरा लाया। अगले दिन जबचोरी का पता लगा तो मंत्रियोंनेराजा को इसकी खबर दी। राजा बडा हैरान और नाराज हुआ। उसनेमंत्रियों को आज्ञा दी कि शहर की सडकोंपर गश्त करनेकेलिए सिपाहियोंकी संख्या दूनी कर दी जाय और अगर रात के समय किसी को भी घूमते हुएपाया जाय तो उसेचोर समझकर गिरफतार कर लिया जाय।

जिस समय दरबार में यह ऐलानहोरहा था, एक नागरिक के भेषमें चोर मौजूद था। उसे सारी योजना की एक एक बात का पता चल गया। उसेफौरनयह भी मालूम हो यगा कि कौन से छब्बीस सिपाही शहर मेंगश्त के लिएचुनेगयेहैं। वह सफाई सेघर गया और साधु का बाना धारण करके उन छब्बीसों सिपाहियों की बीवियोंसेजाकर मिला। उनमें सेहरेक इस बात केलिएउत्सुक थी कि उसकी पति ही चोर को पकडेओर राजा से इनाम ले। एक एक करकेचोर उन सबकेपास गया ओर उनकेहाथ देख देखकर बताया कि वह रात उसकेलिए बडी शुभ है। उसक पति की पोशाक मेंचोर उसकेघर आयेगा; लेकिन, देखो, चोर की अपने घर केअंदर मत आने देना,नहींतो वह तुम्हेंदबा लेगा। घर केसारे दरवाजेबंद कर लेना और भले ही वह पति की आवाज मेंबोलता सुनाई दे,उसकेऊपर जलता कोयला फेंकना। इसका नतीजा यह होगा कि चोर पकडमेंआ जायगा। सारी स्त्रियां रात को चोर केआगमन के लिए तैयार हो गईं। अपनेपतियोंको उन्होंने इसकी जानकारी नहींदी। इस बीच पति अपनी गश्त पर चलेगयेऔर सवेरे चार बजे तक पहरा देते रहे। हालांकि अभी अंधेरा था, लेकिन उन्हेंउस समय तक इधर उधर कोई भी दिखाई नहींदिया तोउन्होंने सोचा कि उस रात कोचोर नहींआयगा,यह सोचकर उन्होंने अपने घर चलेजानेका फैसला किया। ज्योंही वेघर पहुंचे,स्त्रियोंको संदेह हुआ और उन्होंनेचोर की बताई कार्रवाई शुरू कर दी। फलवह हुआ कि सिपाही जल गये ओर बडी मुश्किल सेअपनी स्त्रियोंको विश्वास दिला पायेकि वे ही उनकेअसली पति हैंऔर उनकेलिएदरवाजा खोल दिया जाय।

सारेपतियोंकेजल जानेकेकारण उन्हें अस्पताल ले जाया गया। दूसरेदिन राजा दरबार मेंआया तो उसे सारा हाल सुनाया गया। सुनकर राजा बहुत चिंतित हुआ और

जाकर चोर पकड़े। उस रात कोतवालने तेयार होकर शहर का पहरा देना शुरूकिया। जबवह एक गली मेंजा रहा रहा था,चोर ने जवाबदिया,‘मैं चोर हूं।″ कोतवाल समझा कि लड़की उसकेसाथ मजाक कर रही है। उसनेकहा,″मजाक छाड़ो ओर अगर तुम चोर हो तो मेरेसाथ आओ। मैं तुम्हेंकाठ में डाल दूंगा।″ चोर बाला, ″ठीक है। इससेमेरा क्या बिगड़ेगा!″और वह कोतवाल केसाथ काठडालनेकी जगह पर पहुंचा। वहांजाकर चोर नेकहा, ″कोतवाल साहब,इस काठ को आप इस्तेमाल कैसेकिया करतेहैं,मेहरबानी करकेमुझेसमझा दीजिए।″कोतवाल ने कहा,तुम्हारा क्या भरोसा!मैंतुम्हेंबताऊं और तुमभाग जाओं तो?″चोर बाला, ″आपके बिना कहेमैंनेअपनेको आपके हवालेकर दिया है। मैंभाग क्योंजाऊंगा?″ कोतवाल उसेयह दिखाने केलिएराजी हो गया कि काठ कैसेडाला जाता है। ज्योंही उसनेअपनेहाथ-पैर उसमेंडालेकि चोर ने झट चाबी घुमाकर काठका ताला बंद कर दिया और कोतवाल को राम-रामकरके चल दिया। जाड़ेकी रात थी। दिन निकलते-निकलतेकोतवालमारेसर्दी केअधमरा हो गया। सवेरेजबसिपाही बाहर आनेलगेतो उन्होंने देखा कि कोतवाल काठमेंफंसेपड़े हैं। उन्होंनेउनको उसमेंसे निकाला और अस्पताल ले गये। अगलेदिन जब दरबार लगा तो राजा को रात का सारा किस्सा सुनाया गया।

राजा इतना हैरान हुआ कि उसनेउस रात चोर की निगरानी स्वयंकरने का निश्चय किया। चोर उस समय दरबार मेंमौजूद था और सारी बातोंकोसुन रहा था। रात होने पर उसने साधु का भेषबनाया और नगर के सिरेपर एक पेड़ केनीचे धूनी जलाकर बैठ गया। राजा नेगश्त शुरूकी और दो बार साधु के सामनेसेगुजरा। तीसरी बार जबवह उधर आया तो उसने साधु सेपूछा कि,″क्या इधर सेकिसी अजनबी आदमी को जाते उसने देखा है?″साधु नेजवाबदिया कि “वह तो अपनेध्यान मेंलगा था, अगर उसकेपास से कोई निकला भी होगा तो उसे पता नहीं। यदि आप चाहें तो मेरेपास बैठ जाइए और देखते रहिए कि कोईआता-जाता हैया नहीं।″यह सुनकर राजा केदिमाग में एक बात आई और उसनेफौरन तय किया कि साधु उसकी पोशाक पहनकर शहर का चक्कर लगायेऔर वह साधु केकपड़ेपहनकर वहांचोर की तलाश मेंबैठे। आपस में काफ बहस-मुबाहिसे और दो-तीन बार इंकार करने केबाद आखिर चोर राजा की बात माननेकोराजी हो गया ओर उन्होंनेआपस मेंकपड़ेबदल लिये। चोर तत्काल राजा केघोड़ेपर सवार होकर महल मेंपहुंचा ओर राजा के सोनेके कमरेमेंजाकर आरामसे सो गया,बेचारा राजा साधु बना चोर को पकड़नेकेलिए इंतजार करता रहा। सवेरेकेकोईचार बजनेआये। राजा नेदेखा कि न तो साधु लौटा और कोई आदमी या चोर उस रास्तेसेगुजरा,तो उसने महलमें लौट जानेका निश्चय किया;लेकिन जब वह महलकेफाटक पर पहुंचा तो संतरियोंने सोचा,राजा तो पहलेही आ चुका है,हो न हो यह चोर है, जो राजा बनकर महलमें घुसना चाहता है। उन्होंनेराजा को पकड़ लिया और काल कोठरी मेंडाल दिया। राजा नेशोर मचाया,पर किसी नेभी उसकी बात न सुनी। दिन का उजाला होनेपर काल कोठरी का पहरा देनेवालेसंतरी नेराजा का चेहरा पहचान लिया ओर मारेडर केथरथर कांपने लगा। वह राजा केपैरोंपर गिर पड़ा। राजा ने सारेसिपाहियोंको बुलाया और महल में गया। उधर चोर,जो रात भर राजा केरुप में महलमेंसोया था,सूरज की पहली किरण फूटतेही,राजा की पोशाक मेंऔर उसी के घोड़ेपर रफूचक्कर हो गया। अगलेदिन जब राजा अपनेदरबार मेंपहुंचा तो बहुत ही हतरश था। उसनेऐलान किया कि अगर चोर उसके सामनेउपस्थितित हा जायगा तो उसे माफ कर दिया जायगा और उसकेखिलाफ कोई कार्रवाईनहींकीह जायगी,बल्कि उसकी चतुराई केलिएउसेइनामभी मिलेगा। चोर वहांमौजूद था ही,फौरन राजा केसामने आ गया ओर बोला,“महाराज,मैंही वह अपराधीह हूं।″ इसके सबूत मेंउसनेराजा के महलसेजो कुछ चुराया था,वह सब सामने रख दिया,साथ ही राजा की पोशाक और उसका घोड़ा भी। राजा नेउसे गांव इनाममें दियेऔर वादा कराया कि वह आगे चोरी करना छोड़ देगा। इसकेबादसेचोर खूब आनन्द सेरहने लगा।

समाप्त

घंटी की कीमत

घंटी कीकीमत

रामदास एक ग्वालेका बेटा था। रोज सुबह वह अपनी गायोंको चरानेजंगल मेंलेजाता। हर गाय केगलेमेंएकएक घंटी बँधी थी। जो गाय सबसेअधिक सुंदर थी उसकेगले में घंटी भी अधिक कीमती बँधी थी। एक दिन एक अजनबी जंगल सेगुजर रहा था। वह उस गाय को देखकर रामदास केपास आया,यह घंटी बड़ी प्यारी हैक्या कीमत हैइसकी ? बीस रुपये। रामदास नेउत्तर दिया। बस, सिर्फ बीस रुपयेमैंतुम्हेंइस घंटी केचालीस रुपयेदेसकता हूँ। सुनकर रामदास प्रसन्न होउठा। झट सेउसनेघंटी उतारकर उस अजनबी केहाथ मेंथमा दी और पैसे अपनी जेबमें रख लिये। अब गाय केगलेमेंकोई घंटी नहीं थी। घंटी की टुनक सेउसेअन्दाजा होजाया करता था। अतः अब इसका अन्दाजा लगाना रामदास केलिए मुश्किल हो गया कि गाय इस वक्त कहाँ चर रही है। जब चरतेचरतेगाय दूर निकलआई तो अजनबी को मौका मिल गया। वह गाय कोअपनेसाथ लेकर चलपड़ा। तभी रामदास नेउसेदेखा। वह रोता हुआ घर पहुँचा और सारी घटना अपनेपिता को सुनाई। उसने कहा,मुझे तनिक भी अनुमान नहीं था कि वह अजनबी मुझेघंटी केइतनेअच्छेपैसेदेकर ठग ले जाएगा। पिता ने, ठगी का सुख बड़ा खतरनाक होता है। पहले वह हमेंप्रसन्नता देता है,फिर दुःख। अतः हमेंपहले ही से उसका सुख नहींउठाना चाहिए। लालच से कभी सुख नहींमिलता।

समाप्त

Pawan Panchariya ke alfaz 2018 chatur geedar

किसी जंगल मेंएक चतुर और बुद्धिमान गीदड़ रहता था|उसकेचार मित्र बाघ,चूहा, भेड़िया और नेवला भी उसी जंगलमें रहतेथे| एक दिन चरोंशिकार करनेजंगल मेंजा रहे थे|जंगलमें उन्होंनेएक मोटा ताजा हिरन देखा उन्होंनेउसे पकड़नेकी कोशिश की परन्तु असफल रहे|उन्हों ने आपस में मिलकर विचार किया|गीदड़ ने कहा यह हिरन दौड़नेमें काफी तेज है| और काफी चतुर भी है|बाघ भाई! आपनेइसे कई बार मारने की कोशिश की पर सफल नहींहोसके|अब ऐसा उपाय किया जाए कि जब वह हिरन सो रहा होतो चूहा भाई जाकर धीरे धीरेउसका पैर कुतर दे, जिस सेउसके पैर में जखमहो जाये| फिर आप पकड़ लीजिए तथा हमसब मिलकर इसेमौज सेखाएं| सब ने मिलजुल कर वैसेही किया|जखमकेकारन हिरन तेज नहींदौड़ पाया और मारा गया| खानेके समय गीदड़ ने कहा अबतुमलोग स्नान कर आओ मैंइसकी देख भाल करता हूँ| सब के चलेजानेपर गीदड़ मन-ही-मन विचार करने लगा|तब तक बाघ स्नान कर केलौट आया| गीदड़ कोचिंतित देख कर बाघ नेपूछा- मेरे चतुर मित्र तुमकिस उधेड़बुन मेंपड़ेहो? आओ आज इस हिरन को खाकर मौज मनाएँ| गीदड़ नेकहा बाघ भाई!चूहेनेमुझ से कहा है कि बाघ केबल को धिक्कार है! हिरन तोमैंने मारा है| आज वह बलवान बाघ मेरी कमाई खाएगा| सो उसकी यह धमंड भरी बात सुन कर मैतो अबहिरन को खाना अच्छा नहीं समझाता|बाघ ने कहा- अच्छा ऐसी बात है? उसनेतो मेरी आखेंखोल दीं| अब मेंअपनेही बलबूतेपर शिकार कर केखाऊंगा|

यह कह कर बाघ चला गया|उसी समय चूहा आ गया|गीदड़ नेचूहे सेकहा-चूहेभाई! नेवला मुझ सेकह रहा था कि बाघ केकाटने सेहिरन केमांस में जहर मिल गया है|मैंतो इसेखाऊंगा नहीं, यदि तुमकहो तो मैंचूहेको खाजाऊँ|अब तुमजैसा ठीक समझो करो| चूहा डर कर अपनेबिल मेंघुस गया|अब भेदियेकी बारी आई|गीदड़ नेकहा- भेड़िया भाई! आज बाघ तुमपर बहुत नाराज हैमुझे तोतुम्हारा भला नहींदिखाई देता| वह अभी आनेवाला है| इसलिए जो ठीक समझो करो| यह सुनकर भेड़िया दुमदबाकर भाग खड़ा हुआ|तब तक नेवला भी आ गया|गीदड़ ने कहा- देख रेनेवले!मैंनेलड़कर बाघ भेड़िये और चूहेको भगा दिया है|यदि तुझेकुछ घमंडहैतो आ,मुझ से लड़ ले और फिर हिरन का मांस खा|नेवलेनेकहा- जब सभी तुमसेहार गए तो मेंतुमसेलडनेकी हिम्मत कैसेकरूँ? वह भी चला गया|अबगीदड़ अकेलेही मांस खानेलग गया|इस तरह गीदड़ नेअपनी चतुराई से बाघ जैसेताकतवर को भी मात देदी|

समाप्त

हमेंअपने बड़े,माता ,पिता और गुरु जनोंकी आज्ञां का पालन जरुर करना चाहिए,

एक से भलेदो

किसी गांवमें एक ब्राहमण रहता था,एक बार किसी कार्यवश ब्राहमण को किसी दूसरे गांव जाना था,उसकी माँ नेउस से कहा कि किसी को साथ लेलेक्यूँ कि रास्ता जंगल का था,ब्राहमण नेकहा माँ! तुमडरो मत,मैंअकेला ही चला जाऊंगा क्योंकि कोई साथी मिला नहींहै,माँ नेउसका यह निश्चय जानकर कि वह अकेलेही जा रहा हैपास की एक नदी से माँ एक केकड़ा पकडकर ले आई और बेटेको देते हुएबोली कि बेटा अगर तुम्हारा वहांजाना आवश्यक है तो इस केकड़ेको ही साथ केलिए लेलो,एक सेभले दो, यह तुम्हारा सहायक सिध्दहोगा,पहले तोब्राहमण को केकड़ा साथ लेजाना अच्छा नहींलगा,वह सोचनेलगा कि केकड़ा मेरी क्या सहायता कर सकता है,फिर माँ की बात को आज्ञांरूप मान कर उसनेपास पड़ी एक डिब्बी मेंकेकड़ेको रख लिया,यह डब्बी कपूर की थी,उसनेइस को अपनेझोले मेंडाललिया और अपनी यात्रा केलिए चल पड़ा,कुछ दूर जानेकेबादधूप काफी तेज हो गई,गर्मी और धूप सेपरेशान होकर वह एक पेड़ केनीचेआरामकरनेलगा,पेड़ की ठंडी छाया मेंउसेजल्दी ही नींदभी आगई,उस पेड़ केकोटर मेंएक सांप भी रहता था, ब्राहमण को सोता देख कर वह उसेडसनेके लिएकोटर सेबाहर निकला,जबवह ब्राहमण केकरीब आया तो उसेकपूर की सुगंध आने लगी,वह ब्राहमण केबजाय झोलेमें रखे केकड़ेवाली डिब्बी की तरफ हो लिया,उसने जबडब्बी को खाने केलिए झपटा मारा तो डब्बी टूट गई जिस सेकेकड़ा बाहर आ गया और डिब्बी सांप के दांतोंमें अटक गई केकड़ेनेमौका पाकर सांप को गर्दन से पकड़कर अपनेतेज नाखूनों से कस लिया,सांप वहीँ पर ढेर हो गया,उधर नींदखुलनेपर ब्राहमण नेदेखा की पास में ही एक सांप मारा पड़ा है,उसकेदांतोंमें डिबिया देख कर वह समझ गया कि इसे केकड़ेनेही मारा है,वह सोचनेलगा कि माँ की आज्ञांमान लेने केकारण आज मेरे प्राणोंकी रक्षा होगई,नहींतो यह सांप मुझेजिन्दा नहींछोड़ता,इस लिए हमेंअपने बड़े,माता ,पिता और गुरु जनोंकी आज्ञां का पालन जरुर करना चाहिए,

समाप्त

Pawan Panchariya ke alfaz2018 एकता की शक्ति

एक समय की बात हैंकि कबूतरों का एक दल आसमान में भोजन की तलाश मेंउडता हुआ जा रहा था। गलती सेवह दल भटककर ऐसे प्रदेश केऊपर से गुजरा,जहांभयंकर अकाल पडा था। कबूतरोंका सरदार चिंतित था। कबूतरोंकेशरीर की शक्ति समाप्त होती जा रही थी। शीघ्र ही कुछ दाना मिलना जरुरी था। दल का युवा कबूतर सबसेनीचे उड रहा था। भोजन नजर आनेपर उसेही बाकी दल को सुचित करना था। बहुत समय उडनेकेबाद कहींवह सूखाग्रस्त क्षेत्र से बाहर आया। नीचेहरियाली नजर आने लगी तोभोजन मिलनेकी उम्मीद बनी। युवा कबूतर और नीचेउडान भरनेलगा। तभी उसे नीचेखेत मेंबहुत सारा अन्न बिखरा नजर आया “चाचा,नीचेएक खेत मेंबहुत सारा दाना बिखरा पडा हैं। हमसबका पेट भर जाएगा।’ सरदार नेसूचना पातेही कबूतरों को नीचेउतरकर खेत मेंबिखरा दाना चुनने का आदेश दिया।

सारा दल नीचेउतरा और दाना चुननेलगा। वास्तवमें वह दाना पक्षी पकडने वालेएक बहलिए ने बिखेर रखा था। ऊपर पेडपर तना था उसका जाल। जैसेही कबूतर दल दाना चुगनेलगा,जाल उन पर आ गिरा। सारे कबूतर फंस गए। कबूतरोंके सरदार नेमाथा पीटा “ओह!यह तो हमें फंसानेके लिए फैलाया गया जाल था। भूख नेमेरी अक्ल पर पर्दा डाल दिया था। मुझेसोचना चाहिए था कि इतना अन्न बिखरा होने का कोई मतलब हैं। अब पछताए होत क्या,जब चिडिया चुग गईखेत?”एक कबूतर रोनेलगा “हमसबमारेजाएंगे।”बाकी कबूतर तो हिम्मत हार बैठेथे,पर सरदार गहरी सोच में डूबा था। एकाएक उसने कहा “सुनो, जाल मजबूत हैं यह ठीक हैं,पर इसमेंइतनी भी शक्ति नहींकि एकता की शक्ति को हरा सके। हम अपनी सारी शक्ति को जोडेतो मौत केमुंह मेंजानेसेबच सकतेहैं।”युवा कबूतर फडफडाया “चाचा! साफ-साफ बताओ तुमक्या कहना चाहतेहो। जाल ने हमेंतोडरखा हैं,शक्ति कैसेजोडे?”सरदार बोला “तुमसबचोंच से जाल को पकडो, फिर जबमैं फुर्र कहूंतो एक साथ जोर लगाकर उडना।” सबनेऐसा ही किया।

तभी जाल बिछानेवाला बहेलियांआता नजर आया। जाल मेंकबूतर कोफंसा देख उसकी आंखेंचमकी। हाथ मेंपकडा डंडा उसने मजबूती सेपकडा व जाल की ओर दौडा। बहेलिया जाल सेकुछ ही दूर था कि कबूतरों का सरदार बोला “फुर्रर्रर्र!” सारेकबूतर एक साथ जोर लगाकर उडेतो पूरा जालहवा मेंऊपर उठा और सारेकबूतर जाल को लेकर ही उडनेलगे। कबूतरोंको जालसहित उडते देखकर बहेलिया अवाक रह गया। कुछ संभला तो जाल केपीछेदौडनेलगा। कबूतर सरदार नेबहेलिएको नीचेजाल केपीछे दौडतेपाया तो उसका इरादा समझ गया। सरदार भी जानता था कि अधिक देर तक कबूतर दल केलिएजाल सहित उडतेरहना संभवन होगा। पर सरदार केपास इसका उपाय था। निकट ही एक पहाडी पर बिल बनाकर उसका एक चूहा मित्र रहता था। सरदार नेकबूतरोंको तेजी सेउस पहाडी की ओर उडनेका आदेश दिया। पहाडी पर पहुंचतेही सरदार का संकेत पाकर जाल समेत कबूतर चूहे केबिल केनिकट उतरे। सरदार नेमित्र चूहेको आवाज दी। सरदार नेसंक्षेप मेंचूहेको सारी घटना बताईऔर जालकाटकर उन्हेंआजादकरनेके लिए कहा। कुछ ही देर मेंचूहेनेवह जाल काट दिया। सरदार नेअपनेमित्र चूहेको धन्यवाददिया और सारा कबूतर दल आकाश की ओर आजादी की उडान भरने लगा।

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Shram Card Payment Status 1000 Kist: ऐसे चेक करें अपनी किस्त का पैसा

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