घंटी कीकीमत
रामदास एक ग्वालेका बेटा था। रोज सुबह वह अपनी गायोंको चरानेजंगल मेंलेजाता। हर गाय केगलेमेंएकएक घंटी बँधी थी। जो गाय सबसेअधिक सुंदर थी उसकेगले में घंटी भी अधिक कीमती बँधी थी। एक दिन एक अजनबी जंगल सेगुजर रहा था। वह उस गाय को देखकर रामदास केपास आया,यह घंटी बड़ी प्यारी हैक्या कीमत हैइसकी ? बीस रुपये। रामदास नेउत्तर दिया। बस, सिर्फ बीस रुपयेमैंतुम्हेंइस घंटी केचालीस रुपयेदेसकता हूँ। सुनकर रामदास प्रसन्न होउठा। झट सेउसनेघंटी उतारकर उस अजनबी केहाथ मेंथमा दी और पैसे अपनी जेबमें रख लिये। अब गाय केगलेमेंकोई घंटी नहीं थी। घंटी की टुनक सेउसेअन्दाजा होजाया करता था। अतः अब इसका अन्दाजा लगाना रामदास केलिए मुश्किल हो गया कि गाय इस वक्त कहाँ चर रही है। जब चरतेचरतेगाय दूर निकलआई तो अजनबी को मौका मिल गया। वह गाय कोअपनेसाथ लेकर चलपड़ा। तभी रामदास नेउसेदेखा। वह रोता हुआ घर पहुँचा और सारी घटना अपनेपिता को सुनाई। उसने कहा,मुझे तनिक भी अनुमान नहीं था कि वह अजनबी मुझेघंटी केइतनेअच्छेपैसेदेकर ठग ले जाएगा। पिता ने, ठगी का सुख बड़ा खतरनाक होता है। पहले वह हमेंप्रसन्नता देता है,फिर दुःख। अतः हमेंपहले ही से उसका सुख नहींउठाना चाहिए। लालच से कभी सुख नहींमिलता।
समाप्त
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Share kre