कैसे लें जिंदगी के महत्वपूर्ण निर्णय
अपने रोज के जीवन में हमें कई निर्णय लेना होते हैं। कुछ लोग निर्णय लेने में देर नहीं लगाते हैं जबकि कुछ लोगों के लिए किसी महत्वपूर्ण निर्णय पर पहुंचना कठिन होता है। किसी निर्णय पर पहुंचने के लिए विकल्प भी आपको चिंता में डाल देते हैं। ज्यादा विकल्पों के कारण ही कई बार निर्णय लेने के बाद भी दिमाग में शांति नहीं आ पाती है। ऐसा लगता है कि दूसरा विकल्प चुन लेते तो शायद ज्यादा बेहतर रहता। कुछ चीजें हैं जिन्हें अपनाकर आप अपनी निर्णय क्षमता को बेहतर बना सकते हैं और जीवन में प्रसन्नाता पा सकते हैं।
सबकुछ आपका नहीं हो सकता
किसी एक निर्णय तक पहुंचना बाकी तमाम संभावनाओं के लिए दरवाजे बंद करने की तरह है। लेकिन याद रखें कि आप हमेशा सभी चीजों को नहीं पा सकते। हमेशा कुछ ऐसे रास्ते रहेंगे जिन्हें छोड़ना पड़ेगा, कुछ ऐसे करियर रहेंगे जो आप चुन नहीं पाएंगे और ऐसे अनुभव रहेंगे जिनकी राह छोड़ना ही होगी। जिन विकल्पों को आप पहले छोड़ चुके हैं उनके बारे में वर्तमान में सोचते हुए निराशा व्यक्त करने का कोई अर्थ नहीं है। आपने जो भी निर्णय लिया है उसके साथ खुश रहना सीखें।
ज्यादा सोचना हमेशा ठीक नहीं
किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले सोचना ठीक होता है लेकिन ज्यादा विचार करना आपके लिए ठीक नही होता। किसी भी विषय के बारे में जानकारी या रिसर्च आपको एक तय सीमा तक मदद करती है लेकिन उसके बाद आपको स्पष्ट बनाने के बजाय दुविधा में भी डालती है। कोई भी अच्छा निर्णय जितना अच्छी जानकारियों के आधार पर लिया जाता है उसमें अपनी जरूरतों और अपनी अनुमान की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है।
निर्णय की समयसीमा तय करें
किसी भी निर्णय के लिए समयसीमा तय करना बहुत जरूरी है। यह संभव है कि आपको ज्यादा जानकारी की जरूरत हो या आप कम तनाव वाले समय की प्रतीक्षा कर रहे हों लेकिन इतनी ज्यादा देर प्रतीक्षा करना ठीक नहीं कि आपके निर्णय किसी और द्वारा लिए जाने लगें। लोग कहें कि आपने निर्णय ही नहीं लिया इसलिए जैसा भी मैं ठीक समझता था मैंने वैसा कर दिया। समय पर निर्णय न कर पाने की वजह से आप अपने ऊपर दबाव बढ़ा लेते हैं और फिर अचानक आवेश में आकर कोई भी निर्णय लेने पर आमादा हो जाते हैं। ऐसे में सही निर्णय से ज्यादा निर्णय लेना महत्वपूर्ण हो जाता है।
अपने मन पर भरोसा करें
कई बार आपको अनुमान होता है कि फलां चीज आपके लिए सही है या नहीं। आपके इस अनुमान के पीछे आपका अनुभव और आपकी सोच होती है। अगर आपका अनुमान आपको किसी विशेष निर्णय पर पहुंचने के लिए कह रहा है तो उसकी अनदेखी ना करें। लेकिन अनुमान और आवेग में अंतर जरूरी है। जब आप अचानक जरूरत महसूस करते हुए किसी निर्णय पर पहुंचने की
हड़बड़ी में रहते हैं तो वह आवेगपूर्ण अवस्था है और उसमें बहुत संभव है कि आपको आगे चलकर अपने निर्णयों पर पछतावा हो। अनुमान या दिल के कहे पर निर्णय लें आवेगपूर्ण अवस्था में नहीं।
खराब नतीजों से परेशान न रहें
जीवन में यह हमेशा ही होता है कि कुछ निर्णय हमारे पक्ष में रहते हैं तो कुछ विरोध में भी जाते हैं। अपने खराब निर्णयों को लेकर खुद को दोष देने से हम आगे के अच्छे निर्णय नहीं ले पाते हैं। अपने पुराने निर्णयों से ऊबरकर आगे बढ़ें। खराब निर्णयों के लिए खुद को दोषी ठहराकर भी आप उन निर्णयों के प्रभावों को बदल नहीं पाएंगे इसलिए उन निर्णयों से सबक लेकर अच्छे निर्णय करना सीखें।
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