*समय गूंगा नहीं*
*बस मौन है,*
*वक्त पर बताता है*
*किसका कौन है!*
*ताक़त और पैसा*
*ज़िन्दगी के फल हैं।*
*परिवार और मित्र*
*जिन्दगी की जड़ हैं।*
*हम फल के बिना*
*अपने आप को चला सकते हैं।*
*पर*
*जड़ के बिना*
*खड़े नहीं हो सकते।*
*जय श्रीकृष्ण*
बुधवार, 21 फ़रवरी 2018
Time is important
गुरुवार, 15 फ़रवरी 2018
Mobile ke bareme
ये मोबाइल यूँ ही हट्टा कट्टा नहीं
बहुत कुछ खाया - पीया है इसने
मसलन
ये हाथ की घड़ी खा गया
ये टॉर्च - लाईटे खा गया
ये चिट्ठी पत्रियाँ खा गया
ये किताब खा गया
ये रेडियो खा गया
ये टेप रिकॉर्डर खा गया
ये कैमरा खा गया
ये कैल्क्युलेटर खा गया
ये परोस की दोस्ती खा गया
ये मेल - मिलाप खा गया
ये हमारा वक्त खा गया
ये हमारा सुकून खा गया
ये पैसे खा गया
ये रिश्ते खा गया
ये यादास्त खा गया
ये तंदुरूस्ती खा गया
कमबख्त
इतना कुछ खाकर ही स्मार्ट बना
बदलती दुनिया का ऐसा असर
होने लगा
आदमी पागल और फोन स्मार्ट
होने लगा
जब तक फोन वायर से बंधा था
इंसान आजाद था
जब से फोन आजाद हुआ है
इंसान फोन से बंध गया है
ऊँगलिया ही निभा रही रिश्ते
आजकल
जुवान से निभाने का वक्त कहाँ है
सब टच में बिजी है
पर टच में कोई नहीं है दोस्तो आज हालात ऐसे हो गये है फोन की वजह से लोग बेकार हो गये है,,, और फोन काम काजी हो गया है ,, ऐक ही घर मे रहते हूये ,ऐक दूसरे से परीवार मे बात नही होती ,, सभी अपने मोबाईल मे मूह डालकर बैठे रहते है ,,शायद वक्त बदल सा गया है ,लेकीन परीवार मे दूरीया आ गयी है ,,समय रहते बचा लो ,,ईस परीस्थती को संभाल लो,,,,
शनिवार, 4 नवंबर 2017
Jivan ka yathart 2017 pkp
Lovely message :
कुए में उतरने वाली बाल्टी यदि झुकती है,
तो भरकर बाहर आती
जीवन का भी यही गणित है,
जो झुकता है वह
प्राप्त करता है...
जीवन में किसी का भला करोगे,
तो लाभ होगा...
क्योंकि भला का उल्टा लाभ होता है ।
और
जीवन में किसी पर दया करोगे,
तो वो याद करेगा...
क्योंकि दया का उल्टा याद होता है।
भरी जेब ने ' दुनिया ' की पहेचान करवाई और खाली जेब ने ' इन्सानो ' की.
जब लगे पैसा कमाने, तो समझ आया,
शौक तो मां-बाप के पैसों से पुरे होते थे,
अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें पुरी होती हैl
किनारे पर तैरने वाली लाश को देखकर ये समझ आया ..
..बोझ शरीर का नही साँसों का था..
सर झुकाने से नमाज़ें अदा नहीं होती...!!!
दिल झुकाना पड़ता है इबादत के लिए...
पहले मैं होशियार था,
इसलिए दुनिया बदलने चला था,
आज मैं समझदार हूँ,
इसलिए खुद को बदल रहा हूँ.
बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर...
क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है.
मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा,
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना.
〰➰➰〰➰➰〰
प्रेम चाहिये तो
समर्पण खर्च करना होगा।
विश्वास चाहिये तो
निष्ठा खर्च करनी होगी।
साथ चाहिये तो
समय खर्च करना होगा।
किसने कहा रिश्ते
मुफ्त मिलते हैं ।
मुफ्त तो हवा भी नहीं मिलती
एक साँस भी तब आती है
जब एक साँस छोड़ी जाती हे
〰➰➰〰➰➰〰......
कुछ अच्छी लाइने
नज़र और नसीब का कुछ ऐसा इत्तेफाक हैं कि नज़र को अक्सर वही चीज़ पसंद आती हैं; जो नसीब में नहीं होती:! और नसीब में लिखी चीज़ अक्सर नज़र नहीं:!!
मैंने एक दिन खुदा से पुछा: आप मेरी दुआ उसी वक्त क्यों नहीं सुनते; जब मैं आपसे मांगता हूँ? खुदा ने मुस्कुरा कर कहा: मैं तो तेरे गुनाहों की सजा भी उस वक्त नहीं देता जब तू करता हैँ:!!
किस्मत पहले ही लिखी जा चुकी है; तो कोशिश करने से क्या मिलेगा? क्या पता किस्मत में लिखा हो कि कोशिश से ही मिलेगा:!!
ज़िन्दगी में कुछ खोना पड़े तो यह दो लाइन याद रखना: 'जो खोया है उसका ग़म नहीं लेकिन जो पाया है वो किसी से कम नहीं:!' 'जो नहीं है वो एक खवाब हैं; और जो है वो लाजवाब है:!!'
इन्सान केहता है कि पैसा आये तो मैं कुछ करके दिखाऊ; और पैसा केहता हैं कि तू कुछ करके दिखाए तो मैं आऊ:!
बोलने से पेहले लफ्ज़ आदमी के गुलाम होते हैं; लेकिन बोलने के बाद इंसान अपने लफ़्ज़ों का गुलाम बन जाता हैँ:!!
ज्यादा बोझ लेकर चलने वाले अक्सर डूब जाते हैं; फिर चाहे वो अभिमान का हो; या सामान का:!!
जिन्दगी जख्मो से भरी हैं; वक़्त को मरहम बनाना सिख लें; हारना तो है मोतके सामने; फ़िलहाल जिन्दगी से जीना सिख लें:!!
पहली बार किसी कविता को पढ़कर आंसू आ गए ।*
*दुध पिलाया जिसने छाती से निचोड़कर*
*मैं* *"निकम्मा, कभी 1 ग्लास पानी पिला न सका ।*
*बुढापे का "सहारा,, हूँ* *"अहसास" दिला न सका*
*पेट पर सुलाने वाली को* *"मखमल,* *पर सुला न सका ।*
*वो "भूखी, सो गई "बहू, के "डर, से एकबार मांगकर*
*मैं "सुकुन,, के "दो, निवाले उसे खिला न सका ।*
*नजरें उन "बुढी, "आंखों से कभी मिला न सका ।*
*वो "दर्द, सहती रही में खटिया पर तिलमिला न सका ।*
*जो हर "जीवनभर" "ममता, के रंग पहनाती रही मुझे*
*उसे "दिवाली पर दो "जोड़ी, कपडे सिला न सका ।* **
*"बिमार बिस्तर से उसे "शिफा, दिला न सका ।*
*"खर्च के डर से उसे बड़े* *अस्पताल, ले जा न सका ।*
*"माँ" के बेटा कहकर "दम,तौडने बाद से अब तक सोच रहा हूँ*,
*"दवाई, इतनी भी "महंगी,, न थी के मैं ला ना सका* ।
*माँ तो माँ होती हे भाईयों माँ अगर कभी गुस्से मे गाली भी दे तो उसे उसका "Duaa"* *समझकर भूला देना चाहिए*|✨,, ✨
*मैं यह वादा करता अगर यह पोस्ट आप दस ग्रुप मे भेजोगे तो कम से कम दो लड़के ईस पोस्ट को पढ कर अपनी माँ के बारे मे सोचेंगे जरुर!!!!!!!!*
.....इसे मेसेज को हर ग्रुप मे भेजो ....जिसने नही भेजा वो " माँ " से प्यार नही करता ह .)
मैं आपका शुभचिंतक आपका भाई, आपका दोस्त
Pawan panchariya.
हमारे इस ब्लॉगर पेज पर आप सभी का स्वागत है सभी से निवेदन है कि पेज की पोस्ट को पसंद करेंऔर शेयर कर
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