चोरऔरराजा
किसी जमानेमें एक चोर था। वह बडा ही चतुर था। लोगोंका कहना था कि वह आदमी की आंखोंका काजल तक उडा सकता था। एक दिन उस चोर नेसोचा कि जबतक वह राजधानी मेंनहीं जायगा और अपना करतब नहींदिखायगी,तबतक चोरोंकेबीच उसकी धाक नहीं जमेगी। यह सोचकर वह राजधानी की ओर रवाना हुआ और वहांपहुंचकर उसने यह देखनेके लिए नगर का चक्कर लगाया कि कहां कया कर सकता है। उसने तय कि कि राजा के महल सेअपना काम शुरूकरेगा। राजा नेरातदिन महल की रखवाली केलिए बहुतसे सिपाही तैनात कर रखेथे। बिना पकडेगयेपरिन्दा भी महल मेंनहींघुस सकता था। महल मेंएक बहुत बडी घडींलगी थी, जो दिन रात का समय बताने केलिएघंटे बजाती रहती थी। चोर नेलोहेकी कुछ कीलें इकठटी कीं ओर जबरात को घडी ने बारह बजायेतो घंटेकी हर आवाज केसाथ वह महलकी दीवार मेंएकएक कील ठोकता गया। इसतरह बिना शोर कियेउसनेदीवार मेंबारह कीलेंलगा दीं, फिर उन्हेंपकड पकडकर वह ऊपर चढ गया और महलमें दाखिल हो गया। इसकेबादवह खजानेमें गया और वहांसेबहुत सेहीरेचुरा लाया। अगले दिन जबचोरी का पता लगा तो मंत्रियोंनेराजा को इसकी खबर दी। राजा बडा हैरान और नाराज हुआ। उसनेमंत्रियों को आज्ञा दी कि शहर की सडकोंपर गश्त करनेकेलिए सिपाहियोंकी संख्या दूनी कर दी जाय और अगर रात के समय किसी को भी घूमते हुएपाया जाय तो उसेचोर समझकर गिरफतार कर लिया जाय।
जिस समय दरबार में यह ऐलानहोरहा था, एक नागरिक के भेषमें चोर मौजूद था। उसे सारी योजना की एक एक बात का पता चल गया। उसेफौरनयह भी मालूम हो यगा कि कौन से छब्बीस सिपाही शहर मेंगश्त के लिएचुनेगयेहैं। वह सफाई सेघर गया और साधु का बाना धारण करके उन छब्बीसों सिपाहियों की बीवियोंसेजाकर मिला। उनमें सेहरेक इस बात केलिएउत्सुक थी कि उसकी पति ही चोर को पकडेओर राजा से इनाम ले। एक एक करकेचोर उन सबकेपास गया ओर उनकेहाथ देख देखकर बताया कि वह रात उसकेलिए बडी शुभ है। उसक पति की पोशाक मेंचोर उसकेघर आयेगा; लेकिन, देखो, चोर की अपने घर केअंदर मत आने देना,नहींतो वह तुम्हेंदबा लेगा। घर केसारे दरवाजेबंद कर लेना और भले ही वह पति की आवाज मेंबोलता सुनाई दे,उसकेऊपर जलता कोयला फेंकना। इसका नतीजा यह होगा कि चोर पकडमेंआ जायगा। सारी स्त्रियां रात को चोर केआगमन के लिए तैयार हो गईं। अपनेपतियोंको उन्होंने इसकी जानकारी नहींदी। इस बीच पति अपनी गश्त पर चलेगयेऔर सवेरे चार बजे तक पहरा देते रहे। हालांकि अभी अंधेरा था, लेकिन उन्हेंउस समय तक इधर उधर कोई भी दिखाई नहींदिया तोउन्होंने सोचा कि उस रात कोचोर नहींआयगा,यह सोचकर उन्होंने अपने घर चलेजानेका फैसला किया। ज्योंही वेघर पहुंचे,स्त्रियोंको संदेह हुआ और उन्होंनेचोर की बताई कार्रवाई शुरू कर दी। फलवह हुआ कि सिपाही जल गये ओर बडी मुश्किल सेअपनी स्त्रियोंको विश्वास दिला पायेकि वे ही उनकेअसली पति हैंऔर उनकेलिएदरवाजा खोल दिया जाय।
सारेपतियोंकेजल जानेकेकारण उन्हें अस्पताल ले जाया गया। दूसरेदिन राजा दरबार मेंआया तो उसे सारा हाल सुनाया गया। सुनकर राजा बहुत चिंतित हुआ और
जाकर चोर पकड़े। उस रात कोतवालने तेयार होकर शहर का पहरा देना शुरूकिया। जबवह एक गली मेंजा रहा रहा था,चोर ने जवाबदिया,‘मैं चोर हूं।″ कोतवाल समझा कि लड़की उसकेसाथ मजाक कर रही है। उसनेकहा,″मजाक छाड़ो ओर अगर तुम चोर हो तो मेरेसाथ आओ। मैं तुम्हेंकाठ में डाल दूंगा।″ चोर बाला, ″ठीक है। इससेमेरा क्या बिगड़ेगा!″और वह कोतवाल केसाथ काठडालनेकी जगह पर पहुंचा। वहांजाकर चोर नेकहा, ″कोतवाल साहब,इस काठ को आप इस्तेमाल कैसेकिया करतेहैं,मेहरबानी करकेमुझेसमझा दीजिए।″कोतवाल ने कहा,तुम्हारा क्या भरोसा!मैंतुम्हेंबताऊं और तुमभाग जाओं तो?″चोर बाला, ″आपके बिना कहेमैंनेअपनेको आपके हवालेकर दिया है। मैंभाग क्योंजाऊंगा?″ कोतवाल उसेयह दिखाने केलिएराजी हो गया कि काठ कैसेडाला जाता है। ज्योंही उसनेअपनेहाथ-पैर उसमेंडालेकि चोर ने झट चाबी घुमाकर काठका ताला बंद कर दिया और कोतवाल को राम-रामकरके चल दिया। जाड़ेकी रात थी। दिन निकलते-निकलतेकोतवालमारेसर्दी केअधमरा हो गया। सवेरेजबसिपाही बाहर आनेलगेतो उन्होंने देखा कि कोतवाल काठमेंफंसेपड़े हैं। उन्होंनेउनको उसमेंसे निकाला और अस्पताल ले गये। अगलेदिन जब दरबार लगा तो राजा को रात का सारा किस्सा सुनाया गया।
राजा इतना हैरान हुआ कि उसनेउस रात चोर की निगरानी स्वयंकरने का निश्चय किया। चोर उस समय दरबार मेंमौजूद था और सारी बातोंकोसुन रहा था। रात होने पर उसने साधु का भेषबनाया और नगर के सिरेपर एक पेड़ केनीचे धूनी जलाकर बैठ गया। राजा नेगश्त शुरूकी और दो बार साधु के सामनेसेगुजरा। तीसरी बार जबवह उधर आया तो उसने साधु सेपूछा कि,″क्या इधर सेकिसी अजनबी आदमी को जाते उसने देखा है?″साधु नेजवाबदिया कि “वह तो अपनेध्यान मेंलगा था, अगर उसकेपास से कोई निकला भी होगा तो उसे पता नहीं। यदि आप चाहें तो मेरेपास बैठ जाइए और देखते रहिए कि कोईआता-जाता हैया नहीं।″यह सुनकर राजा केदिमाग में एक बात आई और उसनेफौरन तय किया कि साधु उसकी पोशाक पहनकर शहर का चक्कर लगायेऔर वह साधु केकपड़ेपहनकर वहांचोर की तलाश मेंबैठे। आपस में काफ बहस-मुबाहिसे और दो-तीन बार इंकार करने केबाद आखिर चोर राजा की बात माननेकोराजी हो गया ओर उन्होंनेआपस मेंकपड़ेबदल लिये। चोर तत्काल राजा केघोड़ेपर सवार होकर महल मेंपहुंचा ओर राजा के सोनेके कमरेमेंजाकर आरामसे सो गया,बेचारा राजा साधु बना चोर को पकड़नेकेलिए इंतजार करता रहा। सवेरेकेकोईचार बजनेआये। राजा नेदेखा कि न तो साधु लौटा और कोई आदमी या चोर उस रास्तेसेगुजरा,तो उसने महलमें लौट जानेका निश्चय किया;लेकिन जब वह महलकेफाटक पर पहुंचा तो संतरियोंने सोचा,राजा तो पहलेही आ चुका है,हो न हो यह चोर है, जो राजा बनकर महलमें घुसना चाहता है। उन्होंनेराजा को पकड़ लिया और काल कोठरी मेंडाल दिया। राजा नेशोर मचाया,पर किसी नेभी उसकी बात न सुनी। दिन का उजाला होनेपर काल कोठरी का पहरा देनेवालेसंतरी नेराजा का चेहरा पहचान लिया ओर मारेडर केथरथर कांपने लगा। वह राजा केपैरोंपर गिर पड़ा। राजा ने सारेसिपाहियोंको बुलाया और महल में गया। उधर चोर,जो रात भर राजा केरुप में महलमेंसोया था,सूरज की पहली किरण फूटतेही,राजा की पोशाक मेंऔर उसी के घोड़ेपर रफूचक्कर हो गया। अगलेदिन जब राजा अपनेदरबार मेंपहुंचा तो बहुत ही हतरश था। उसनेऐलान किया कि अगर चोर उसके सामनेउपस्थितित हा जायगा तो उसे माफ कर दिया जायगा और उसकेखिलाफ कोई कार्रवाईनहींकीह जायगी,बल्कि उसकी चतुराई केलिएउसेइनामभी मिलेगा। चोर वहांमौजूद था ही,फौरन राजा केसामने आ गया ओर बोला,“महाराज,मैंही वह अपराधीह हूं।″ इसके सबूत मेंउसनेराजा के महलसेजो कुछ चुराया था,वह सब सामने रख दिया,साथ ही राजा की पोशाक और उसका घोड़ा भी। राजा नेउसे गांव इनाममें दियेऔर वादा कराया कि वह आगे चोरी करना छोड़ देगा। इसकेबादसेचोर खूब आनन्द सेरहने लगा।
समाप्त
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