शनिवार, 10 मार्च 2018

हमेंअपने बड़े,माता ,पिता और गुरु जनोंकी आज्ञां का पालन जरुर करना चाहिए,

एक से भलेदो

किसी गांवमें एक ब्राहमण रहता था,एक बार किसी कार्यवश ब्राहमण को किसी दूसरे गांव जाना था,उसकी माँ नेउस से कहा कि किसी को साथ लेलेक्यूँ कि रास्ता जंगल का था,ब्राहमण नेकहा माँ! तुमडरो मत,मैंअकेला ही चला जाऊंगा क्योंकि कोई साथी मिला नहींहै,माँ नेउसका यह निश्चय जानकर कि वह अकेलेही जा रहा हैपास की एक नदी से माँ एक केकड़ा पकडकर ले आई और बेटेको देते हुएबोली कि बेटा अगर तुम्हारा वहांजाना आवश्यक है तो इस केकड़ेको ही साथ केलिए लेलो,एक सेभले दो, यह तुम्हारा सहायक सिध्दहोगा,पहले तोब्राहमण को केकड़ा साथ लेजाना अच्छा नहींलगा,वह सोचनेलगा कि केकड़ा मेरी क्या सहायता कर सकता है,फिर माँ की बात को आज्ञांरूप मान कर उसनेपास पड़ी एक डिब्बी मेंकेकड़ेको रख लिया,यह डब्बी कपूर की थी,उसनेइस को अपनेझोले मेंडाललिया और अपनी यात्रा केलिए चल पड़ा,कुछ दूर जानेकेबादधूप काफी तेज हो गई,गर्मी और धूप सेपरेशान होकर वह एक पेड़ केनीचेआरामकरनेलगा,पेड़ की ठंडी छाया मेंउसेजल्दी ही नींदभी आगई,उस पेड़ केकोटर मेंएक सांप भी रहता था, ब्राहमण को सोता देख कर वह उसेडसनेके लिएकोटर सेबाहर निकला,जबवह ब्राहमण केकरीब आया तो उसेकपूर की सुगंध आने लगी,वह ब्राहमण केबजाय झोलेमें रखे केकड़ेवाली डिब्बी की तरफ हो लिया,उसने जबडब्बी को खाने केलिए झपटा मारा तो डब्बी टूट गई जिस सेकेकड़ा बाहर आ गया और डिब्बी सांप के दांतोंमें अटक गई केकड़ेनेमौका पाकर सांप को गर्दन से पकड़कर अपनेतेज नाखूनों से कस लिया,सांप वहीँ पर ढेर हो गया,उधर नींदखुलनेपर ब्राहमण नेदेखा की पास में ही एक सांप मारा पड़ा है,उसकेदांतोंमें डिबिया देख कर वह समझ गया कि इसे केकड़ेनेही मारा है,वह सोचनेलगा कि माँ की आज्ञांमान लेने केकारण आज मेरे प्राणोंकी रक्षा होगई,नहींतो यह सांप मुझेजिन्दा नहींछोड़ता,इस लिए हमेंअपने बड़े,माता ,पिता और गुरु जनोंकी आज्ञां का पालन जरुर करना चाहिए,

समाप्त

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