धनतेरस 25 अक्टूबर 2019 के दिन मनाई जाएगी। भगवान धनवंतरी के अमृत कलश हाथ में लेकर निकलने की वजह से ही धनतेरस पर बर्तन खरीदना काफी शुभ माना जाता है। कोई भी व्रत बिना कथा के पूर्ण नहीं होता और अगर आप धनतेरस की कहानी के बारे में नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं धनतेरस की कथा के बारे में|

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धनतेरस का त्यौहार नरक चतुर्थी से एक दिन पहले आता है| इस दिन भगवान धनवंतरी की पूजा की जाती है| भगवान धनवंतरी के अमृत कलश हाथ में लेकर निकलने की वजह से ही धनतेरस पर हम बर्तन खरीदते है क्योंकि इस दिन बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है| कुछ लोग धनतेरस पर व्रत भी रखते है| पर क्या आप जानते है कोई भी व्रत बिना कथा सुने पूर्ण नहीं होता है| अगर आप धनतेरस की कहानी के बारे में नहीं जानते तो आज हम आपको धनतेरस की कथा के बारे में ही बतायंगे|

धनतेरस व्रत कथा:-

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार यमराज ने अपने दूतों को बुलाकर पूछा क्या तुम्हे भी कभी प्राणियों के प्राण हरते वक़्त उन पर दया आती है| यमराज का ये सवाल सुनकर दूतों को अजीब लगा की यमराज किस तरह की बात कर रहे है| यमराज की बात सुनकर उसमे से एक दूत बोले| हाँ महाराज एक बार ऐसी घटना मेरी साथ भी घटित हुई थी| जिससे यमराज का हृदय काँप उठा| हेम नाम के एक राजा ने एक पुत्र को जन्म दिया| उसके बाद ज्योतिष ने उस बालक की कुंडली देखी तो हेम राजा को बताया की आपका बालक जिस दिन विवाह करेगा उसे चार दिन बाद उसकी मृत्यु हो जाएगी| उसके बाद उस राजा ने अपने बालक को यमुना घाट की एक गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रखा|

उसके बाद जब ये बड़े हुए तो एक बार महाराजा हंस की बेटी यमुना के तट पर अपनी सहेलियों के साथ घूमने गयी| उस पर हेम राजा का बेटा ब्रह्मचारी मोहित हो उठा और उससे उसी समय विवाह कर लिया| फिर विवाह के चौथे दिन ब्रह्मचारी की मृत्यु हो गयी जिस पर उसकी पत्नी बिलख-बिलख के रोने लगी|

दूत बोले तब मेरा ह्रदय कांप उठा था| उस राजकुमार ब्रह्मचारी के प्राण हरते समय हमारा मन भी रो रहा था| तभी एक दूत ने यमराज से पूछा की महाराज क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपय नही है|

यमराज दूत को उपाय बताते है की हाँ उपाय तो है अगर कोई व्यक्ति अकाल मत्यु से छुटकारा पाना चाहता है तो उस व्यक्ति को धनतेरस के दिन विधि पूर्वक पूजा और दीपदान करना होगा| जो लोग ये पूजा करते है उस घर में अकाल मृत्यु का भय नहीं होता| तो ये थी धनतेरस की कथा|

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