सोमवार, 12 अगस्त 2019

धर्म ग्रन्थ में भी साफ़ नहीं लिखा है शिव भगवान की इन पांच चीज़ों का बारें में   भोलेनाथ बड़ी ही सरलता से प्रसन्न हो जाते है। यदि देखा जाए तो अन्य देवी देवताओं से भोलेनाथ का जीवन बिल्कुल भिन्न है। इतना ही नही इनके जन्म के विषय में किसी भी धर्म ग्रन्थ में स्पष्ट रूप से नही लिखा है। आइये जाने भगवान शिव के पांच अनोखे रहस्य के विषय मे। तीन नेत्र  भोलेनाथ के द्वारा दिये गए निर्देशो से ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। भगवान शिव से भूत, भविष्य, वर्तमान कुछ नही छुपा है। वो बातें जिन्हें हम देख और समझ नही पाते वो बात शिव जी से छिप नही सकती। त्रिशूल  भगवान शिव का त्रिशूल के 3 भाग मानव के अंदर के भौतिक, दैहिक और दैविक पापों को नष्ट करके जीवन अर्ल बनाता है। भगवान शिव त्रिशूल से ही अधर्मी और असुरों का वध करते है। सर्प  सभी देवी देवता जहाँ गले मे पुष्प की माला धारण करते है वहीं भगवान शिव शंकर गले मे वासुकी नामक सर्प को धारण करते है। वासुकी पिछले जन्म में भगवान शिव की तपस्या की थी। जिससे प्रसन्न होकर शिव जी ने उसे अपने गले मे स्थान दिया। सर्प के स्वभाव के कारण उसे कोई पसन्द नही करता किंतु शिव के लिए सभी प्राणी एक समान है। डमरू  शिव जी को संगीत और नृत्य में खास रुचि है। इसी कारण शिव जी तांडव का नृत्य करते है। भगवान भोलेनाथ का नटराज अवतार इसका उदाहरण है। सृष्टि के आरंभ के समय जब भोलेनाथ ने डमरू बजाया था तो उसी ध्वनि से संस्कृत भाषा का जन्म हुआ था। चन्द्रमा  ज्योतिष शास्त्र में चंद्र को मन का कारक माना गया है। इसी के कारण मनुष्य पाप और पुण्य कार्यो को करता है। भगवान शिव शंकर चंद्र को अपनी जटाओं में धारण करते है इसी के चलते उन्हें शीतलता मिलती है। इसी के कारण उनका अपने मन पर नियंत्रण होता है।

धर्म ग्रन्थ में भी साफ़ नहीं लिखा है शिव भगवान की इन पांच चीज़ों का बारें में





 



भोलेनाथ बड़ी ही सरलता से प्रसन्न हो जाते है। यदि देखा जाए तो अन्य देवी देवताओं से भोलेनाथ का जीवन बिल्कुल भिन्न है। इतना ही नही इनके जन्म के विषय में किसी भी धर्म ग्रन्थ में स्पष्ट रूप से नही लिखा है। आइये जाने भगवान शिव के पांच अनोखे रहस्य के विषय मे।

तीन नेत्र



भोलेनाथ के द्वारा दिये गए निर्देशो से ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। भगवान शिव से भूत, भविष्य, वर्तमान कुछ नही छुपा है। वो बातें जिन्हें हम देख और समझ नही पाते वो बात शिव जी से छिप नही सकती।

त्रिशूल



भगवान शिव का त्रिशूल के 3 भाग मानव के अंदर के भौतिक, दैहिक और दैविक पापों को नष्ट करके जीवन अर्ल बनाता है। भगवान शिव त्रिशूल से ही अधर्मी और असुरों का वध करते है।

सर्प



सभी देवी देवता जहाँ गले मे पुष्प की माला धारण करते है वहीं भगवान शिव शंकर गले मे वासुकी नामक सर्प को धारण करते है। वासुकी पिछले जन्म में भगवान शिव की तपस्या की थी। जिससे प्रसन्न होकर शिव जी ने उसे अपने गले मे स्थान दिया। सर्प के स्वभाव के कारण उसे कोई पसन्द नही करता किंतु शिव के लिए सभी प्राणी एक समान है।

डमरू



शिव जी को संगीत और नृत्य में खास रुचि है। इसी कारण शिव जी तांडव का नृत्य करते है। भगवान भोलेनाथ का नटराज अवतार इसका उदाहरण है। सृष्टि के आरंभ के समय जब भोलेनाथ ने डमरू बजाया था तो उसी ध्वनि से संस्कृत भाषा का जन्म हुआ था।

चन्द्रमा



ज्योतिष शास्त्र में चंद्र को मन का कारक माना गया है। इसी के कारण मनुष्य पाप और पुण्य कार्यो को करता है। भगवान शिव शंकर चंद्र को अपनी जटाओं में धारण करते है इसी के चलते उन्हें शीतलता मिलती है। इसी के कारण उनका अपने मन पर नियंत्रण होता है।

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