कठिन लोगों के साथ कुछ इस तरह करें निबाह
एक बार एक शिष्य ने मुझसे पूछा कि गुरुजी जब मैं अपने पिता के साथ संवाद स्थापित करता हूं तो वे गुस्सा हो जाते हैं। वे मुझे डांटते हैं और फिर मैं परेशान हो जाता हूं कि मैं क्या करूं।
मुझे समझ नहीं आता कि मैं उनके साथ कैसे संवाद स्थापित करूं? मुझे लगता है कि वे परेशानी में हैं, लेकिन वे गुस्सा करते हैं तो कोई भी उनसे बात नहीं करता।
उस युवा को मेरी सलाह थी कि अपने पिता को प्रेम से जीतो। क्या आपको पता है कि कभी-कभी आपको उपद्रव करने वाले को अपने पथ पर लाना पड़ता है और फिर उन्हें धीरे-धीरे समझाने का प्रयत्न करना होता है। मैंने उस शिष्य से कहा कि केवल यह करो कि अगले दो दिनों तक उनकी किसी बात का विरोध मत करो।
वे जो कहें वही करो। उन्हें इतना प्रेम दो कि वे पिघल जाएं। इस पर शिष्य का कहना था कि गुरुजी पापा बात करने को ही तैयार नहीं हैं। तब मेरा कहना था कि केवल बात करना ही उत्तम मार्ग नहीं है। क्या आपने उनसे पूछा कि उन्हें क्या चाहिए। या यह कि आप उनके लिए क्या कर सकते हैं। क्या आपने उनसे यह बात पूछी।
अब जाकर उनसे यह पूछिए कि मैं आपके लिए क्या कर सकता हूं। क्या आपको पता है कि लोग उपद्रव क्यों करते हैं, गुस्सा क्यों करते हैं? इसलिए क्योंकि वे असुरक्षित महसूस करते हैं। उन्हें प्रेम की कमी लगती है।
अक्सर वे सोचते हैं कि मैं अपनी पत्नी और परिवार के लिए इतना कुछ करता हूं, मेरी पूरी जिंदगी सुबह से शाम परिवार की चिंता में निकल जाती है लेकिन कोई मेरी परवाह नहीं करता है। यह भावना उनके हृदय को पकड लेती है और वहां गुस्से के लिए जगह बना देती है।
उनकी पूरी जिंदगी में कई मौकों पर उन्हें मन की चीजों को करने का अवसर नहीं मिल पाता है। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी परिवार के लिए समर्पित कर दी। तो जब उन्हें बदले में कोई प्रेम या मान नहीं मिले तो वे गुस्साया नाराजगी जताते है।
जब कोई उनकी बात नहीं सुनता और उनको सम्मान नहीं देता तो फिर यह गुस्सा बढ़ भी जाता है। यह सभी के साथ होता है। लेकिन अगर आप उन्हें प्रेम के रास्ते पर लाना चाहते हैं तो आपको यह करना पड़ेगा कि जब भी वे थोड़े भी अच्छे मूड में हों, आपको जाकर उनसे पूछना चाहिए कि, 'पिताजी आपको क्या चाहिए? मैं आपके लिए क्या कर सकता हूं?' देखो, कोई भी हमेशा गुस्से की स्थिति में नहीं होता। लोग अच्छे मूड में भी होते हैं।
जब वे अच्छे मूड में हों तब आप बात कर सकते हैं। जब वे थोड़े कम अच्छे मूड में होते हैं, आप उनसे यह पूछ सकते हो कि आप उनके लिए क्या कर सकते हैं। जब वह ज्यादा खराब मूड में हो तो आपको उनके पाससे हट भी जाना चाहिए। इस तरह आप बहस और गुस्से के पैदा होने की संभावना को टाल देते हैं।
एक महिला ने मुझसे कहा, यह मेरी दूसरी शादी है, लेकिन ऐसा लग रहा है कि यह शादी भी टूट जाएगी। मेरी पहली शादी भी मेरी सास की वजह से टूट गई। अब मुझे इतना भय लगता है कि यह शादी भी टूट जाएगी और यह कहते हुए वह रोने लगी।
मैंने उनसे कहा, वह केवल आपकी सास ही तो है, तो उनका विश्वास कीजिए और बस उनके साथ सहमत हो जाइए। यदि वह दिन को रात और रात को दिन कहें तो आप कहें, 'हां, मां,जरूर'। उनके साथ वाद-विवाद से बचें। जब वह ज्यादा खराब मूड में हों तो वहां से हट जाएं।
मतभेद की स्थिति में हमारे पास हमेशा दो विकल्प होते हैं: या तो दूसरे के मार्ग पर चले जाएं या फिर अपने मार्ग पर आ जाएं। अपने मार्ग पर यानी कि प्रेम के मार्ग पर आने पर हम किसी और को भी वहां ला पाते हैं। इस तरह ही हम उसे जीत सकते हैं। किसी को भी प्रेम से जीतना आसान है।
प्रेम कठिन से कठिन परिस्थितियों में मार्ग निकाल देता है। कठिनलोगों को भी प्रेम से जीता जा सकता है। प्रेम भीतर कुछ उपजाता है। याद रखिए कि
गुस्से से गुस्सा उपजता है
और प्रेम से पैदा होता है प्रेम।
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