क्या बच्चों की असफलता अभिभावकों की जिम्मेदारी है?
माता-पिता को ठेस लगती है
जब हम इस तरह का आकलन करते हैं तो यह भूल जाते हैं कि हमारे अभिभावकों का अपना जीवन भी था। हम उनके दुखों, पीड़ाओं और संघर्षों के बारे में विचार करना भूल जाते हैं। कई बच्चे यह नहीं समझ पाते हैं कि माता-पिता के प्रति यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे बुजुर्गावस्था में उन्हें इस तरह की बातों से आहत न करें।
कोई भी उत्कृष्ट नहीं होता
हममें से कोई भी उत्कृष्ट नहीं होता और इसलिए माता-पिता से यह कहना कि उन्होंने अपनी तमाम जिम्मेदारियां अच्छे से नहीं निभाई हमारी उनसे अति अपेक्षा है। जिस तरह आज हमसे गलतियां होती हैं। अभिभावकों की गलतियों की वजह से उनके प्रति हमेशा के लिए शिकायत का भाव रखना ठीक नहीं है।
प्रेम से जीतें अभिभावक को
अपने अभिभावकों का सम्मान करें। उनकी गलतियों को भूलें और उनकी अच्छाइयों को देखें। इस तरह आपके हृदय में शांति और प्रेम पैदा होगा। यह प्रेम आपको संसार जीतने में मदद करेगा। जब हम अभिभावक से गुस्सा होते हैं तो हम अपने मन में क्रोध को दबाकर रखते हैं जो नुकसान करता है।
संबधों के लिए पहल करें
अगर आप अपने माता-पिता से किसी बात पर नाराज हैं तो उनके साथ बातचीत से इसका हल निकालें। कभी भी अपने माता-पिता से यह अपेक्षा न रखें कि वे आपसे बातचीत की शुरुआत करेंगे बल्कि यह पहल आपकी तरफ से होना चाहिए।
उनका आकलन न करें
अपने अभिभावक को किसी भी पैमाने पर तौलने से बचें। सफलता की दौड़ में अपने साथियों को आगे निकलता देख अपने माता-पिता की कमजोरियों का आकलन नहीं किया जाना चाहिए। इस तरह आपको निराशा ही हाथ लगेगी और आप अपने मन में अच्छा महसूस नहीं करेंगे।
अतीत में न अटकें
अपने आज के लिए माता-पिता को दोष देने पर हम अपने अतीत में लौटने लगते हैं और वर्तमान की उपेक्षा करने लगते हैं। हमारे आज में यह बात मायने नहीं रखती कि हमारे अभिभावकों ने बीते कल में हमारे लिए क्या किया और क्या नहीं किया बल्कि अपने वर्तमान के लिए हमें स्वयं ही जिम्मेदारी लेना चाहिए। जब हम अपने आज को बेहतर बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं तो वहां अच्छे और बुरे की जिम्मेदारी स्वयं ही लेना चाहिए।
जो अपने माता-पिता के प्रति असंतुष्टि का भाव रखते हैं वे अपने बच्चों के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा पाते हैं। माता-पिता के प्रति एक गुस्सा या खीझ जाने अनजाने वे अपने बच्चों को भी सौंपने लगते हैं। इस तरह जीवन का निर्मल आनंद जाता रहता है और संबंधों में कटुता आती है। आप अगर बीती बातों को भुलाकर आगे जाने के लिए तैयार हैं तो देखिए जीवन के नए मायने सामने आने लगेंगे।
कमजोरी नहीं आपकी शक्ति
अगर आपको लगता है कि माता-पिता से आपको स्वभाव में अत्यंत कोमलता मिली है तो वह आपकी कमजोरी नहीं है बल्कि वह आपकी शक्ति है। हमें अपने माता-पिता से जो भी गुण और जो भी संपदा मिलती है उसे संतोष के साथ ग्रहण करना चाहिए। अगर माता-पिता से आपको विनम्रता मिली है, चालाकी नहीं तो यह मानना चाहिए कि इसमें आपके लिए संतुष्टि और शांति भी छिपी है।
अगर आप बुजुर्गों से मिली खूबियों पर ध्यान केंद्रित करेंगे तो उनका फायदा भी आपको अपने जीवन में नजर आने लगेगा। इसी तरह अगर आपने व्यवहार की कुछ चीजें सीखी हैं तो वे अपने अभिभावकों को भी बताना चाहिए और उनके पुराने तौर-तरीकों में समय के अनुसार संशोधन के लिए परस्पर सहमति बनाना चाहिए। हर बात हर समय सीखी जा सकती है तो सिखाई भी जा सकती है।
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