*PART-10*
*भारत की झीलें:-*
*मध्य प्रदेश की झीलें:-*
➡1.लोवर झील:भोपाल
➡2.शारंग पानी झील:भोपाल
➡3.भोजताल(भोज सागर) झील: भोपाल
➡4.शाहपुर झील:भोपाल
➡5.मोती झील:भोपाल
➡6.तवा झील:होशगांबाद(mp)
*भोजसागर झील-भोपाल(मध्य प्रदेश)*
➡भोपाल को झीलों का शहर कहा जाता है
➡भोज सागर झील का निर्माण राजा भोज ने करवाया था।
➡मध्य प्रदेश की राजधानी-भोपाल इसी झील के किनारें स्थित है।
⏬⏬⏬⏬⏬⏬
*लोवर झील (छोटी झील):-भोपाल(मध्यप्रदेश)*
➡भोपाल की विभिन्न प्राकृतिक झीलों में से एक छोटा तालाब या लोअर लेक नवाबी युग के इतिहास का एक टुकड़ा है।
➡इस झील का दृश्यन सुंदर और रौबदार है। पर्यटक यहां आकर पैडल और मोटरबोट को चला सकते है। साहसी पर्यटक, झील के पानी में पानी आधारित गतिविधियों का मजा उठा सकते है।
➡ऐतिहासिक झील भोपाल शहर को सुशोभित करने के लिए वर्ष 1794 में बनाया गया था।
➡झील का निर्माण छोटे खान के आदेश पर नवाब हयात मोहम्मद खान बहादुर के एक मंत्री द्वारा कराया गया था। इस नदी के निर्माण के लिए आसपास के क्षेत्र में स्थित कुओं का झील में विलय कर दिया गया।
➡लोअर लेक और बड़े तालाब को जो पुल अलग करता है उसे ‘पुल पुख्ताा‘ या लोअर लेक पुल कहा जाता है। साहित्यए में लोकर लेक का उल्लेबख पुख्ता –पुल तालु के रूप में उल्लेिख हुआ है।
➡लोअर लेक, ऊपरी झील के पूर्व में स्थित है। एक मिट्टी का बांध दो झीलों अलग करता है। दो झीलों को सीढ़ीदार तरीके से बनाया गया है। बड़े तालाब के निम्नतम स्तर लोअर लेक के उच्चदतम स्तार से नीचे है।
➡लोअर लेक 1.29 वर्ग किलोमीटर (पानी फैल) के क्षेत्र में है और इस झील का जलग्रहण क्षेत्र 9.6 वर्ग किमी है।
➡बड़ा तालाब 1850 के दशक में बनाया गया था। झील के अधिकतम और न्यूनतम गहराई क्रमशः 11.7 मीटर और 6.16 मीटर थी जिसकी अधिकतम गहराई 2011 में 10.7मीटर थी।
➡लोअर लेक में ताजे पानी का स्रोत नहीं है। लोअर लेक को बड़े तालाब और जल निकासी से पानी मिलती है। इतना ही नहीं दो दर्जन से ज्या दा सीवर और नालों का पानी भी इसी झील पर गिरता है।
➡यह हलली नदी, बेतवा नदी की एक छोटी सहायक नदी भी मिलती है।
➡इसके अलावा आगंतुकों से स्थानीय लोगों ने भी इसकी सफाई के लिए मदद की है।
➡इतना ही नहीं झील के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति के एथलीटों की भारतीय खेल प्राधिकरण ने झील पर खेल आकदमी की स्थापना की है।
⏬⏬⏬⏬⏬⏬
*बडी झील:-भोपाल(मध्यप्रदेश)*
➡तालाब मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के मध्य में स्थित मानव निर्मित एक झील है। इस तालाब का निर्माण 11वीं सदी में किया गया था। भोपाल में एक कहावत है- "तालों में ताल भोपाल का ताल बाकी सब तलैया", अर्थात् "यदि सही अर्थों में तालाब कोई है तो वह है भोपाल का तालाब"। भोपाल की यह विशालकाय जल संरचना अंग्रेज़ी में 'अपर लेक' कहलाती है। इसी को हिन्दी में 'बड़ा तालाब'कहा जाता है।
➡ मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के पश्चिमी हिस्से में स्थित यह तालाब भोपाल के निवासियों के पीने के पानी का सबसे मुख्य स्रोत है।
*इतिहास:-*
➡भोपाल के 'बड़े तालाब' का निर्माण 11वीं सदी में परमार वंश के राजा भोज ने करवाया था। बेहद प्राचीन और जनउपयोगी इस जलाशय का इतिहासअनेक खट्टे-मीठे अनुभवों से भरा हुआ है। उपलब्ध ऐतहासिक अभिलेखों के आधार पर यह माना जाता है कि धार प्रदेश के प्रसिद्ध परमार राजा भोज एक असाध्य चर्मरोग से पीड़ित हो गए थे। एक संत ने उन्हें सलाह दी कि वे 365 स्त्रोतों वाला एक विशाल जलाशय बनाकर उसमें स्नान करें। साधु की बात मानकर राजा भोज ने राजकर्मचारियों को काम पर लगा दिया। इन राजकर्मचारियों ने एक ऐसी घाटी का पता लगाया, जो बेतवा नदी के मुहाने स्थित थी। लेकिन उन्हें यह देखकर झुंझलाहट हुई कि वहाँ केवल 356 सर-सरिताओं का पानी ही आता था। तब 'कालिया' नाम के एक गोंड मुखिया ने पास की एक नदी की जानकारी दी, जिसकी अनेक सहायक नदियाँ थीं। इन सबको मिलाकर संत के द्वारा बताई गई संख्या पूरी होती थी। इस गोंड मुखिया के नाम पर इस नदी का नाम 'कालियासोत' रखा गया, जो आज भी प्रचलित है। लेकिन राजा भोज की चुनौतियों का दौर अब भी समाप्त नहीं हुआ था।
➡बेतवा नदी का पानी इस विशाल घाटी को भरने के लिए पर्याप्त नहीं था। इसलिए इस घाटी से लगभग 32 किलोमीटर पश्चिम में बह रही एक अन्य नदी को बेतवा घाटी की ओर मोड़ने के लिए एक बांध बनाया गया।
➡यह बांध आज के भोपाल शहर के नजदीक भोजपुर में बना था। इन प्रयासों से जो विशाल जलाशय बना, उसका नाम 'भोजपाला' रखा गया। उसका विस्तार 65,000 हेक्टेयर था और कहीं-कहीं वह 30 मीटर गहरा था। यह प्रायद्वीपीय भारत का कदाचित सबसे बड़ा मानव-निर्मित जलाशय था। उसमें अनेक सुंदर द्वीप थे, और उसके चारों ओर खुबसूरत पहाड़ियाँ थीं।
➡वह प्रसिद्ध भोजपुर शिवालय से आज के भोपाल शहर तक फैला हूआ था। कहते हैं कि राजा भोज इस जलाशय में स्नान करके अपने रोग से मुक्त हो गए। राजा भोज द्वारा निर्मित विशाल जलाशय 'भोजपाला' की वजह से ही इस शहर के नाम धीरे-धीरे 'भोजपाल' और बाद में 'भोपाल' हो गया।
////// *रमेश डामोर सिरोही*//////
*सामान्य ज्ञान ग्रुप टीम की वेबसाइट क्लिक करके नोट्स , पीडीऍफ़ फाइल, ऑनलाइन क्विज प्रश्नोत्तरी प्राप्त करे-*
Www.samanyagyanedu.in
*सामान्य ज्ञान ग्रुप & लेटेस्ट अपडेट फेसबुक ग्रुप लिंक*
https://www.facebook.com/groups/261559677533407/
♻♻♻♻♻♻♻♻
*सामान्य ज्ञान ग्रुप*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Share kre