जीवन में गुरु तो कई बन जाते है लेकिन वास्तविक गुरु और प्रारम्भिक गुरु तो माता ही होती है जो हमें एक अच्छी सीख देती है,जीवन जीने के तरीके बताती है और लोगो को देखने का नजरिया बताती है।

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वास्तव में माता ही व्यकित का गुरु और गुरुर होती है। माँ अपने बच्चों को प्यार दुलार के साथ एक अच्छा बालक भी बनाने का प्रयास करती है,माँ की ही प्रेरणा की कहानी लिख रहा हूँ जिसका शीर्षक है 'माँ एक गुरु' कहानी जरूर पढ़ें और शेयर करें...... माँ का सम्मान हमारा परम कर्तव्य होना चाहिए।

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एक बहुत ही गरीब लड़का पहाड़ी राश्ते पर बैठ कर जूतों की मरम्मत किया करता था। एक फ़्रांसिसी ने सड़क की पहाड़ी पर बैठे उस गरीब लड़के से जुते की मरम्मत कराइ। उसने उस लड़के की गरीबी को देखते हए एक रुपये दे दिया। लड़के ने अपनी मजदूरी के पैसे काट कर बाकी सरे पैसे वापस कर दिए और कहा -''जो मेरा उचित काम का पैसा है ,वही मई लूंगा। मेरी माता ने मुझे सिखाया है की जितनी मेहनत करूँ उससे अधिक उसके बदले में ना लूँ।

यही बालक आगे चल कर फ़्रांस का राष्ट्रपति दागल बना।

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प्रेरणा-इस कहानी से एक प्रेरणा हमे यही मिलती है की जीवन में माँ की दी हुई शिक्षा का पालन करते हुए कोई भी व्यक्ति सफलता प्राप्त कर सकता है। उनकी शिक्षा में मिलावट नहीं होती सिर्फ हमें मार्ग से भटकना नहीं चाहिए