मंगलवार, 4 दिसंबर 2018

प्रेम की पवित्रता हिंदी

प्रेम की पवित्रता

इन दिनों प्राय: प्रेम का अर्थ लोभ, स्वार्थ, कामना और वासना से लगाया जाता है। यह कोई प्रेम नहीं है, यह तो कुछ पाने की इच्छा है और इच्छा तो अनंत होती है। इसकी पूर्ति संभव नहीं है, लेकिन प्रेम तो शुरू भी है और अंत भी। कहीं कोई विराम नहीं है, अतिरेक नहीं है। इसलिए प्रेम कभी भी मस्तिष्क से नहीं किया जाता, चैतन्यमन प्रेम नहीं कर सकता। हृदय प्रेम कर सकता है, भक्ति कर सकता है।

प्रेम करने वाला पतंगा दीपक की लौ में विसर्जित हो सकता है, उसे होश कहां है कि दीपक की लौ में वह जल जाएगा। ज्यों ही जलने का भय मन में आया, तो प्रेम छूट गया। लोग प्रेम को वासना मानने की भूल करते हैं, लेकिन वहां प्रेम जैसा कुछ नहीं है, वहां कहीं न कहीं वासना है, स्वार्थ है और कुछ पाने की इच्छा है। इच्छा के आते ही प्रेम तो नष्ट हो गया। प्रेम में इच्छा कैसे हो सकती है, भक्ति में भी अगर प्रभु को पाने की कामना है, तो वह भक्ति नहीं है, वह व्यापार है। प्रभु को पाने की कामना व्यापार है। आप प्रभु से इसलिए प्रेम करते हैं कि आपको प्रभु का आशीर्वाद मिले। प्रेमी किसी को पाना चाहता है तो यह उसका स्वार्थ है। वह किसी स्वार्थ से प्रेरित होकर किसी को पाना चाहता है। उसकी चाहना ही उसका स्वार्थ है। उसी प्रकार भक्त अगर प्रभु को पाना चाहता है तो यह भी स्वार्थ है। इस क्रम में गीता के भगवान कृष्ण की वाणी भंग हो जाती है क्योंकि कृष्ण कहते हैं-'नि:स्वार्थ भक्तिÓ और पतंजलि कहते हैं 'निर्बीज समाधिÓ। जहां कुछ भी पाने की बात नहीं हो वही प्रेम है, वही भक्ति है। जिस प्रेम में दो का भाव बना रहे, वह प्रेम नहीं है। वहां कोई न कोई दूसरा तो है और जब तक दूसरा बना रहता है, वहां प्रेम घटित नहीं होता। वासना बहिमरुखी होती है, क्योंकि आपके हृदय के प्रेम को बाहर बहने देने के लिए कोई तो चाहिए और जब आपका प्रेम बाहर की ओर बहने लगे, तो आपके हृदय में उठा प्रेम का बबूला आपको प्रेममय नहीं बना सकता। आपका प्रेम तो दूसरी ओर बह गया। ऐसा प्राय: देखा जाता है कि वासनात्मक प्रेम के बाद मन में वितृष्णा पैदा होती है, लेकिन थोड़े दिनों में वहीं विकर्षण, वही घृणा और अतृप्ति जीवित हो जाती है। पुन: आपके मन को उद्वेलित करने लगती है, क्योंकि आपके मन की अतृप्ति आपको चैन से बैठने नहीं देती। बाहर की वस्तुओं से जब भी आप प्रेम करेंगे, वह अतृप्ति ही देगा। तृप्ति तो केवल भीतर का प्रेम दे सकता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Share kre

हमारे इस ब्लॉगर पेज पर आप सभी का स्वागत है सभी से निवेदन है कि पेज की पोस्ट को पसंद करेंऔर शेयर कर

Shram Card Payment Status 1000 Kist: ऐसे चेक करें अपनी किस्त का पैसा

Shram Card Payment Status 1000 Kist: ऐसे चेक करें अपनी किस्त का पैसा February 15, 2025 by admin WhatsApp Group Join Now Telegram...