आपकी हड्डियां जीवनभर देंगी साथ
हड्डियों की समस्या आजकल तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में हड्डियों से संबंधित बीमारी ऑस्टियोपोरोसिस की शिकायत भी खूब सुनने में आ रही है। आपकी हड्डियां जीवन भर आपका साथ दें, आप ये तो चाहते हैं, लेकिन उन पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाते।
हड्डियां हमारे शरीर में कई प्रमुख भूमिका निभाती हैं। ये शरीर को आकार देती हैं, अंगों की रक्षा करती हैं, मांसपेशियों का स्थिरण करती हैं और कैल्शियम का संग्रहण करती हैं। अगर बचपन से ही हड्डियों के स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाए तो उम्र बढ़ने के साथ हड्डियां कमजोर नहीं होंगी, लेकिन आजकल इसका ठीक उल्टा हो रहा है। आज हड्डियों की कमजोरी आम समस्या बन गई है। आधुनिक जीवन शैली ने हमारी दिनचर्या और खानपान की आदतों में ऐसा बदलाव किया है कि युवा भी तेजी से इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। वैसे हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखना उतना कठिन भी नहीं है, जितना आप सोचते हैं।
हड्डियों की संरचना
कुछ लोग ऐसा सोचते हैं कि हड्डियां कड़ी और निर्जीव होती हैं, लेकिन ये जीवित, विकासशील ऊतक होती हैं। हड्डियां तीन मुख्य तत्वों से बनी होती हैं, जो इन्हें लचीला और मजबूत बनाते हैं।
कोलेजन: एक प्रोटीन, जो हड्डियों को एक लचीला फ्रेमवर्क देता है।
कैल्शियम फॉस्फेट मिनरल कॉम्प्लेक्सेज: यह हड्डियों को कडम और शक्तिशाली बनाते हैं।
लिविंग बोनसेल्स: ये हड्डियों के कमजोर भागों को निकाल देते हैं और वहां नया निर्माण कर देते हैं।
हड्डियां बाहर से कठोर होती हैं, लेकिन अंदर से हल्की और मुलायम होती हैं। इनमें करीब 75 प्रतिशत पानी होता है।
हड्डियों के कमजोर होने के कारण
शरीर में कैल्शियम और विटामिन डी की कमी।
हार्मोनों की कमी विशेषकर महिलाओं में एस्ट्रोजन और पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन।
थाइरॉयड की समस्या।
हड्डियों का कैंसर।
बढ़ती उम्र और अत्यधिक भार।
दवाओं का अत्यधिक सेवन।
महिलाओं में बोन टिशु पुरुषों की तुलना में कम होते हैं, इसलिए उनकी हड्डियों के कमजोर होने का खतरा अधिक होता है।
शारीरिक सक्रियता में कमी या अधिक दिनों तक बेड रेस्ट करना।
धूम्रपान और शराब के अधिक सेवन से भी हड्डियां कमजोर होती हैं।
कई बीमारियां जैसे ऑटोइम्यून डिसऑर्डर, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, डाइजेस्टिव एंड गैस्ट्रो इनटेस्टिनल डिसऑर्डर, क्रोहन डिसीज और भार कम करने वाली सर्जरी जैसे गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी।
कीमोथेरेपी से भी बोन लॉस होता है।
हड्डियों को ऐसे बनाएं मजबूत
जीवनशैली में बदलाव लाएं। पोषक भोजन खाएं। विशेषकर ऐसा भोजन, जो कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर हो। उसमें हरी पत्तेदार सब्जियां, दुग्ध उत्पाद और ठंडे पानी की मछलियां प्रमुख हैं। इनके अलावा इन बातों का भी ध्यान रखें।
प्रतिदिन कम से कम 1,500 मिलीग्राम कैल्शियम का सेवन करें।
शरीर का भार औसत रखें।
प्रतिदिन एक मील पैदल चलने की कोशिश करें। पैदल चलना बोन मास को बढ़ाने में सहायक है।
शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। नियमित रूप से व्यायाम और योग करें।
प्रोसेस्ड फूड और नमक का सेवन कम करें।
साबुत अनाज खाएं। ये उन पोषक तत्वों से समृद्ध होते हैं, जो हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं।
हड्डियां क्यों होती हैं कमजोर
बच्चों और किशोरों की हड्डियां तब तक विकसित होती हैं, जब तक वह पीक यानी चरम तक नहीं पहुंच जातीं। सामान्यता पीक बोन मास 18 से 25 वर्ष की उम्र के बीच होता है। अधिकतर लोग 30 की उम्र तक अपना सर्वोच्च बोन मास प्राप्त कर लेते हैं। पीक बोन मास के समय बोन मास जितना अधिक होगा, उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों के टूटने की आशंका उतनी ही कम होगी। 30 वर्ष की उम्र के बाद आप जितना बोन मास प्राप्त करते हैं, उससे अधिक गंवा देते हैं। कभी भी इतनी देर नहीं होती कि आप अपनी हड्डियों को सुरक्षित रखने के लिए कदम न उठा सकें। आप शारीरिक रूप से सक्रिय रहकर और अपने खानपान में सुधार लाकर बोन मास के कम होने की प्रक्रिया को धीमा कर सकते हैं।
स्वस्थ हड्डियों के लिए जरूरी पोषण
स्वस्थ हड्डियों के लिए कैल्शियम और विटामिन डी के अतिरिक्त प्रोटीन, विटामिन के, मैग्नीशियम, पोटैशियम, विटामिन सी और दूसरे पोषक तत्व आवश्यक हैं।
कैल्शियम: कैल्शियम हमारे शरीर में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला तत्व है। शरीर के 99 प्रतिशत कैल्शियम का संचय हड्डियों में होता है, जबकि शरीर की विभिन्न क्रियाओं में केवल 1 प्रतिशत कैल्शियम का उपयोग किया जाता है। इसलिए हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए उचित मात्रा में कैल्शियम का सेवन आवश्यक है। एक औसत व्यक्ति को प्रतिदिन 1,000 से 1,200 मिलीग्राम कैल्शियम की आवश्यकता होती है। गहरी हरी पत्तेदार सब्जियां कैल्शियम का अच्छा स्त्रोत हैं। इसके अलावा मछलियां, साबुत अनाज, केले, ब्रेड, पास्ता, सोया मिल्क, टोफू और बादाम भी कैल्शियम के अच्छे स्त्रोत हैं।
विटामिन डी: विटामिन डी की कमी से हड्डियां कमजोर और मुलायम हो जाती हैं। सूर्य का प्रकाश विटामिन डी का सबसे अच्छा स्त्रोत है। जो लोग हमेशा घरों में बंद रहते हैं, उन्हें सूर्य की रोशनी नहीं मिल पाती और उनका शरीर उचित मात्रा में विटामिन डी का निर्माण नहीं कर पाता। सूर्य की रोशनी के अलावा दूध, अंडे, चिकन, मछलियां जैसे सालमन, ट्यूना, मैकेरल, सार्डिन भी विटामिन डी के अच्छे स्त्रोत हैं।
पोटैशियम: जो लोग पर्याप्त मात्रा में पोटैशियम का सेवन करते हैं, उनकी हड्डियों की सेहत बेहतर रहती है। शकरकंदी, आलू छिलके सहित, दही और केला पोटैशियम के अच्छे स्रेत हैं।
मैग्नीशियम: पालक, चुकंदर, टमाटर, आलू, शकरकंदी और किशमिश खाएं, क्योंकि इनमें भरपूर मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है, जो आपकी हड्डियों को मजबूत बनाता है।
प्रोटीन: प्रोटीन शरीर का निर्माण करने वाले तत्वों में सबसे महत्वपूर्ण है। यह हड्डियों को मजबूत रखता है और बोन मास भी बढ़ाता है।
विटामिन सी और विटामिन के: हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन सी और विटामिन के भी बहुत आवश्यक हैं। लाल मिर्च, हरी मिर्च, संतरा, अंगूर, ब्रोकली, अंकुरित अनाज, पपीता और पाइन एप्पल विटामिन सी के अच्छे स्त्रोत हैं और शलगम, पालक, सरसों और मेथी जैसी गहरी हरी पत्तेदार सब्जियों में विटामिन के भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
स्टेरॉयड कर रहे हड्डियां कमजोर गर्भनिरोधक गोलियां, मोटापा कम करने, बालों को झड़ने से रोकने और त्वचा को झुर्रियों से बचाने के लिए कई लोग विशेषकर महिलाएं स्टेरॉयड युक्त दवाओं का सेवन कर रही हैं। इंटरनेशनल ऑस्टियोपोरोसिस एसोसिएशन के अध्ययन की मानें तो ये स्टेरॉयड दवाएं मेनोपॉज के बाद महिलाओं की हड्डियों को कमजोर कर रही हैं, जिसके लक्षण पचास साल की उम्र के बाद नजर आते हैं। यदि स्टेरॉयड युक्त दवाओं का सेवन करना आवश्यक हो तो अल्होकल और सिगरेट का इस्तेमाल बंद कर दें और भोजन में कैल्शियम तथा विडामिन डी की मात्रा बढ़ा दें।
बोन डेन्सिटी टेस्ट
इसमें एक विशेष प्रकार के एक्स-रे, जिसे डीएक्सए (डय़ुअल-एनर्जी एक्स -रे) कहते हैं, द्वारा स्पाइन, कूल्हों और कलाइयों की स्क्रीनिंग की जाती है। इन भागों की हड्डियों की डेन्सिटी माप कर इनकी शक्ित का पता लगाया जाता है, ताकि हड्डियों के कमजोर होकर टूटने से पहले ही उनका उपचार किया जा सके। यह टेस्ट 45 साल की उम्र में कराना शुरू करें और हर पांच साल बाद कराएं।
क्या कहते हैं आंकड़े 3.6 करोड़ भारत के लोग 2013 में ऑस्टियोपोरोसिस के शिकार थे।
22 सेकेंड में विश्व भर में एक व्यक्ति को फ्रैक्चर होता है।
80% स्पाइनल फ्रैक्चर की वजह ऑस्टियोपोरोसिस है।
जापान में हुए शोध में यह बात सामने आई है कि काली चाय का अधिक सेवन करने से शरीर में फ्लोरीन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे हड्डियां कमजोर होती हैं
। 14% हड्डियों का भार होता है एक वयस्क के शरीर के कुल भार का।
नेशनल ऑस्टियोपोरोसिस फाउंडेशन के अनुसार हर साल ऑस्टियोपोरोसिस करीब एक करोड़ लोगों को अपना शिकार बनाता है।
50 साल से अधिक उम्र की भारतीय महिलाओं में से हर दूसरी ऑस्टियोपोरोसिस की शिकार है (डब्लूएचओ के अनुसार)
हमारा जन्म होता है तो शरीर में 300 हड्डियां होती हैं। युवा होने पर संख्या घट कर 206 रह जाती है, क्योंकि कई हड्डियां जुड़ कर एक बन जाती हैं
आयुर्वेद केंद्र (सफदरजंग एनक्लेव) की एमडी (आयुर्वेद) डॉ. सुधा से बातचीत पर आधारित
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