गुरुवार, 20 दिसंबर 2018

जब मनचाहा कुछ न हो तो यहां ढूंढें खुशियां

जब मनचाहा कुछ न हो तो यहां ढूंढें खुशियां

जब मनचाहे परिणाम न मिल रहे हों तो बहुत छोटी-छोटी बातों में खुशियां ढूंढना चाहिए। किसी भी अंतिम परिणाम से निराश होने के बजाय अपने प्रयासों पर ध्यान देना चाहिए। बुरे स्वप्नों को भूलकर आगे बढ़ने का यही मंत्र है।

हम सभी की जिंदगी में ऐसे पल आते हैं जबकि परिणाम हमारे पक्ष में नहीं रहते। प्रयासों के बावजूद हम सही नतीजे तक नहीं पहुंच पाते। जिंदगी में सबसे कठिन क्षण ये ही होते हैं जबकि व्यक्ति वर्तमान से निराश होता है और भविष्य के प्रति भी कोई आशा नजर नहीं आती है।

ऐसे में कोई भी अपने प्रयासों को संदेह दृष्टि से देखने लगता है और उसी के परिणामस्वरूप नए कार्यों में लगने वाली ऊर्जा भी कम होने लगती है। यह याद रखना चाहिए कि जिंदगी एक सीधी सड़क की तरह नहीं हो सकती, इसमें कई तरह के मोड़ होते हैं और हर मोड़ थोड़ा चौंकाता है।

इन मोड़ों से गुजरते हुए कई बार ऐसी अप्रत्याशित स्थितियों से सामना होता है जिनके लिए हम तैयार नहीं होते और तब हम बहुत निराश महसूस करते हैं। हर मोड़ पर अपने मन का दृश्य मिले यह संभव नहीं है और इसलिए अप्रत्याशित घटनाओं का सहजता के साथ मुकाबला करना जरूरी है।

जीवन में जब अपने मन के अनुरूप कुछ भी न हो रहा हो तो हमें बहुत शांति के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। परीक्षा यही है कि हम ऐसी स्थितियों में भी अपनी क्षमताओं और स्वाभाविकताओं में बने रहें। जब कुछ भी हमारे मन का नहीं हो रहा हो तो यह विश्वास करना बहुत जरूरी है कि चीजें ठीक होंगी।

नकारात्मक परिणामों के बीच सकारात्मक रवैया बहुत ही जरूरी और महत्वपूर्ण है। उस वृक्ष का खयाल कीजिए जो पतझड़ में पूरी तरह सूखा दिखाई देता है लेकिन वसंत आते ही वह नए पत्तों से लद जाता है। जिंदगी में ऐसे पतझड़ी समय से निकलने के लिए आशा की बहुत जरूरत होती है। आशा ही कठिन वक्त में भी हमें प्रयासों से जोड़े रखती है।

फिर जब अपने मन के अनुरूप परिणाम नहीं आ रहे हों तो यह मौका होता है कि हम अपनी योजनाओं की तरफ फिर से देखें। अगर हम किसी एक ही चीज को बार-बार साबित करने के लिए प्रयास कर रहे हैं और वह फिर भी ठीक से नहीं हो पा रही है तो हमें अपनी योजना में फेरबदल करके देखना चाहिए। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि लंबे समय की अपनी योजनाएं या अपने अंतिम लक्ष्य को बदलना चाहिए बल्कि उन योजनाओं के रास्तों में

थोड़ा-सा बदलाव सही दिशा में आगे बढ़ने का मौका देगा और राह आसान बनाएगा। उन चीजों की तरफ ध्यान दें जिनके कारण सही परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं और देखें कि आप उन स्थितियों में कौन-सा वैकल्पिक मार्ग चुन सकते हैं। विकल्प तनावों और पड़ने वाले दबाव को भी बहुत हद तक कम कर देते हैं।

जब मनचाहे नतीजे नहीं मिल रहे हैं तो ऐसा समय धैर्य की परीक्षा होता है। ऐसे में चीजों के परिणामों के बारे में बहुत अधीर नहीं होना चाहिए और उन्हें समय देना चाहिए। परिणामों की हड़बड़ी या अति उत्सुकता भी हमारे मन की शांति को भंग करती हैं और ऐसे में धीरज के साथ आगे बढ़ना बहुत राहत देगा।

अधीरता की स्थिति में हम परिणामों के लिए अपना सबकुछ झोंक देते हैं और इसलिए भी निराशा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। इसलिए जरूरी है कि धीरज के साथ परिणामों की प्रतीक्षा की जाए ताकि बहुत मुश्किल स्थितियां न बने।

चाहे हम कितना भी बुरा महसूस कर रहे हों लेकिन उन स्थितियों में भी खुद को प्रेरित बनाए रखना जरूरी है। अगर हम इसी शिकायत के साथ आगे बढ़ें कि हम जकडन महसूस कर रहे हैं तो धीरे-धीरे हम परिस्थितियों को और भी मुश्किल बना लेते हैं।

जब परिणाम मन के अनुरूप नहीं आ रहे हैं तो नए रास्तों को खोजने की तरफ बढ़ना और नई चीजों को आजमाने के लिए स्वयं को आगे बढ़ाना बहुत जरूरी होता है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि हौसला न हारें। अंतरप्रेरणा होना चाहिए, फिर भले ही परिणाम आज पक्ष में न भी हों लेकिन भविष्य के प्रति उम्मीद तो बनी ही रहती है।

जब बड़े परिणाम हमारे पक्ष में नहीं आ रहे हैं तब लंबे समय बाद मिलने वाली किसी बड़ी सफलता के बारे में चिंतित न रहें बल्कि रोज मिलने वाले छोटे-छोटे पलों को पूरी तरह जिएं। अपने परिणाम पर ज्यादा निर्भरता या ज्यादा फोकस भी निराशा को बढ़ाता है।

इसकी बजाय आपको अपने छोटे-छोटे प्रयासों की सुंदरता को देखना चाहिए। इस तरह आप एक संतुलन पैदा कर सकते हैं और निराशा को खुद से दूर ले जा सकते हैं। हालांकि यह आसान नहीं होता लेकिन जब हम इस तरह आगे बढ़ेंगे तो कोई भी असफलता या निराशा हमारा उत्साह तोड़ नहीं पाएगी।

प्रयासों का महत्व समझें ऐसे समय में जबकि मनचाहे परिणाम नहीं मिल रहे हों तो अपने प्रयासों की उत्कृष्टता के बारे में ज्यादा सोचना चाहिए। तब यही देखना हमें आगे बढ़ने में मदद करता है कि हमने अपनी तरफ से पूरा प्रयास किया और कुछ चीजें हमारी पहुंच से बाहर थीं।

अगर आप नकारात्मक ढंग से खुद के प्रति सोचने लगे तो शायद आगे कोई भी चीज बेहतर तरीके से अंजाम नहीं दे पाएंगे। आपको आने वाली चीजों को बेहतर करने के लिए खुद के प्रति आशावादी होना ही होगा। तभी अच्छा कर पाएंगे।

ये उपाय आजमाएं
छोटा ब्रेक लेकर तैयारी करें।अपनी योजना का आकलन करें।दूसरे लोगों से भी सहयोग लें।नई योजना बनाएं।वैकल्पिक योजना तैयार रखें।

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