क्या आप दूसरों से डरते हैं? अगर 'हां' तो जरूर ग़ौर कीजिए
अपनी आलोचना से या समूह में विचारों की अभिव्यक्ति पर झेंप जाना कमजोर आत्म सम्मान की निशानी है। खुद को दूसरों से कमतर आंकना आपके उत्कर्ष के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा है और इससे मुक्ति बहुत जरूरी है।
क्या आप अपरिचित लोगों के बीच किसी मीटिंग में हिस्सा लेने से पहले कुछ भयभीत होते हैं? क्या ऐसे अवसर पर आपका आत्मविश्वास डगमगाया हुआ होता है या चिंता आपकी हृदय गति को बढ़ाए रखती है? क्या आपको ऐसा लगता है कि दूसरे आपसे ज्यादा जानते हैं और आप उनके मुकाबले कमजोर हैं? ऐसा तब होता है जब हम अपनी ही नजरों में स्वयं को कम आंकते हैं।
अपनी खूबियों के प्रति आत्मविश्वास नहीं होने पर एक हीन भावना पनपने लगती है जो आपके व्यक्तित्व का बहुत नुकसान करती है। जब आप कसौटी या प्रतिस्पर्धा के मौकों से कन्नाी काटने लगते हैं या बचने लगते हैं तो इसका अर्थ भी यही होता है कि आपका अपने पर विश्वास पक्का नहीं होता या यूं कहें कि आप स्वयं को हीन भावना के साथ देखते हैं।
बड़ी बाधा
हीन भावना या आत्म सम्मान के कमजोर होने का सीधा संबंध इससे है कि आप अपने प्रति कैसा महसूस करते हैं। अगर आप खुद को कमतर महसूस करते हैं तो अधिकांश मौकों पर दूसरों पर आपका प्रभाव भी वैसा ही होता है। जब आपमें आत्मविश्वास नहीं है तो आपकी बातचीत, व्यवहार और हाव-भाव में भी वह नहीं दिखेगा।
दरअसल अपने आपको दूसरों से कम आंकना या किसी भी तरह की हीन भावना से ग्रसित रहना आपके उत्कर्ष के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा है। हीन भावना आपकी खूबियों को भी बुरी तरह प्रभावित करती है। हीन भावना ही आपकी चिंता और हताशा का भी बड़ा कारण है और कई बार इसके बड़े गंभीर नकारात्मक परिणाम भी होते हैं।
बचपन में छुपे कारण
स्वयं को कमजोर महसूस करने के कारण कई बार बचपन में होने वाली घटनाओं में भी छुपे होते हैं। अगर बचपन में घोर गरीबी देखी है, पढ़ाई में कमजोर रहे हैं, रिश्तों को टूटते या बिखरते देखा है, माता-पिता से प्यार नहीं मिला है या स्कूल और कॉलेज में मजाक बनाया जाता रहा है तो व्यक्ति खुद को कमजोर समझने लगता है।
जीवन में आने वाली चुनौतियों और मुश्किलों से जूझने में किसी भी व्यक्ति के जीवन पर उसके शुरुआती वर्षों का असर जरूर रहता है। लेकिन इस तरह की हीन भावना से उबरना जरूरी है तभी आप जीवन में आगे बढ़ सकते हैं अन्यथा आप हमेशा अपने प्रति शंका का भाव रखेंगे जो कि अच्छा नहीं है।
हीन भावना के नुकसान
चिंता, तनाव, अकेलापन और हताशा का भाव बना रहता है।मित्रता और किसी भी तरह के संबंध में व्यक्ति चिढ़ और खीझ जताने लगता है।अपने एकेडमिक और प्रोफेशनल जीवन में पिछड़ने लगता है।अपनी हीन भावना सेउबरने के लिए गलत चीजों की संगति कर बैठता है।क्या आपका आत्म-सम्मान कमजोर है?अगर आप उस तरह के मेलजोल से डरते हैं जहां आपसे कुछ प्रश्न किए जाने या कुछ पूछे जाने की संभावना रहती है।खुद की आलोचना सुनते ही बहुत असहज हो जाते हैं।इसे सहन नहीं कर सकते कि लोग आपसे थोड़ा भी मजाक करें।इस बात से डरते हैं कि आपसे गलती होगी तो सभी उसे देख लेंगे।अपनी छवि को लेकर आप बहुत ज्यादा चिंतित रहते हैं।बहुत से मौकों पर बातचीत करते हुए झेंप जाते हैं।इसके लिए भी चिंतित रहते हैं कि दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं।
हमेशा आपको यह लगता है कि दूसरों ने आपके साथ ठीक व्यवहार नहीं किया या आपका फायदा उठाया। समूह में या साथियों से अपनी बात कहने में संकोच महसूस करते हैं।
अधिकांशत: वे ही निर्णय लेते हैं जो दूसरों को अच्छे लगें बजाय उनके जो सही हों। इस तरह आप खुद से ज्यादा दूसरों को महत्व देने लगते हैं। अपने प्रति अधिक नकारात्मक तरीके से सोचते हैं।
कैसे उबरें हीन भावना से
स्वयं को दोष न दें
हमेशा बहुत सी ऐसी चीजें होती हैं जो सही नहीं हो पाती और ऐसे में खुद को दोषी मानना ठीक नहीं है। लोग अक्सर अपने प्रति बहुत निष्ठुर होते हैं लेकिन हर मौके पर खुद के प्रति इतना निर्मम होने की जरूरत नहीं है। असफलता के लिए स्वयं को दोष देने वाले विचारों को खुद से दूर करना जरूरी है। जब-जब आप असफलताओं के लिए खुद को दोष देंगे अपने आप को कमजोर करेंगे।
अपने प्रति सकारात्मक सोच बनाएं
अगर आप अपना आकलन कर पाते हैं तो अपनी खूबियों पर ध्यान केंद्रित करें। इसे ऐसे देखें कि मान लीजिए आप किसी प्रतिस्पर्धा में असफल हो जाते हैं, या किसी व्यवसाय में असफल साबित होते हैं तो आप खुद को एक हारे हुए व्यक्ति की तरह देखने लगते हैं। लेकिन इस तरह के भाव से उबरने की जरूरत है। यह मानने की जरूरत है कि ऐसा सभी के साथ होता है। हर व्यक्ति हर मौके पर सफल नहीं हो सकता है। अपनी खूबियों को देखें कि आपने क्या हासिल किया और उन्हें आगे बढ़ाने का सोचें।
अपने आप को सम्मान दें
अपने आप से प्यार करना जरूरी है क्योंकि अगर आप खुद से प्यार नहीं करते तो आप यह कैसे मान सकते हैं कि दूसरे आपसे प्यार करेंगे। हर व्यक्ति में कुछ न कुछ खूबी तो होती ही है और वही उसकी शक्ति होती है। अपनी खूबियों को पहचान कर उन्हें आगे बढ़ाएं। अपने प्रति सम्मान का भाव हीन भावना से उबरने में मदद करेगा।
तुलना से दूर रहें
याद रखें कि हर व्यक्ति का जीवन अलग होता है और उसकी सफलता और असफलता भी अलग होती है। जब आप दूसरों से तुलना करेंगे तो अपने प्रति कभी अच्छा महसूस नहीं कर पाएंगे। ऐसी तुलना आपकी योग्यता की चमक को फीका कर देगी।
खुद की आलोचना से बचें
व्यक्ति दूसरों की आलोचना तो सह जाता है लेकिन जब वह अपनी ही नजर में गिर जाता है तो वह तकलीफ बहुत असहनीय होती है। उन लोगों के साथ रहना चाहिए जो आपको अपने प्रति अच्छा महसूस करने में मदद करते हैं क्योंकि जब आप स्वयं अपनी आलोचना करने लगते हैं तो चीजें खराब होती चली जाती हैं और उन्हें सुधारा नहीं जा सकता। अपने प्रति अच्छा सोचें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Share kre