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*जीवन में जो भी करो,*
*पूरे समर्पण के साथ करो...।*
*प्रेम करो तो मीरा की तरह....*
*प्रतीक्षा करो तो शबरी की तरह...*
*भक्ति करो तो हनुमान की तरह...*
*शिष्य बनो तो अर्जुन के समान...*
*और*
*मित्र बनो तो स्वयं कृष्ण के समान*
हम कोई एटलस नही जो पूरी
दुनिया का भार संभाल सकते हैं
शत प्रतिशत सही होने से ज्यादा
जीवन मे शांति जरूरी है
हमारी दौड़ किसी दूसरे से नही
बल्कि खुद के कल से खुद के
आज की है
*सुप्रभात*
आपका
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