रविवार, 14 जनवरी 2018
Dil Ko chhunewali story 2018
मेरी माँ. उनकी बस एक आँख थी. मैं उनसे बहुत नफरत करता था. हम अकेले थे, मेरे पिता नहीं थे. वो हम दोनों के गुज़ारे के लिए बहुत मेहनत करती थी, शिक्षक और छात्रों के लिए खाना बनाती थी.
एक बार जब मैं स्कूल में था. तो मेरी माँ मुझसे मिलने आई. मुझे बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा था.
वो मेरे साथ ऐसा कर कैसे सकती थी. जबकि उन्हें पता था की उनके कारण मेरे सहपाठि मुझे चिढाते थे. एक ने तो मुझे कहा भी, “आरे तुम्हारी माँ की तो सिर्फ एक आँख है.”
मुझे बहुत धक्का लगा, बहुत ही बेकार लगा. इतना अपमान जो मुझे सहना पड़ा था, मेरी माँ की वजह से. मैं तो बस चाहता था की मेरी माँ कही गयाब हो जाए. एक बार तो मैंने उनसे कहा भी की “अगर आप पुरे जगत के लिए मुझे बस एक हसने लायक पात्र बनाना चाहती हैं, तो आप मर ही जाओ.”
मेरी माँ ने कुछ भी नहीं कहा…और मैंने भी उस बारे में नहीं सोचा, मैं गुस्से से भरा हुआ था. मैं बस उनसे दूर होना चाहता था, किसी भी हालत में. बस उनसे अलग. इसलिए मैंने बहुत पढाई की, बहुत मेहनत की. और एक अच्छी नौकरी हासिल कर ली. मैंने माँ से कहा की मैं अब उनके साथ नहीं रहना चाहता हूँ. और मैं जा रहा हूँ.
कुछ सालो बाद मेरी शादी हो गयी, मैंने माँ को नहीं बताया, न ही बुलाया. मेरे बच्चे हुए, मैं अपना खुद का एक घर ख़रीदा, मेरी जिंदगी अच्छी हो चली थी. फिर एक दिन मेरी माँ मुझसे मिलने आई. मेरे बच्चे उन्हें देख कर डर गए, और फिर उन्हें देखकर हसने लगे. मुझे उनका चेहरा देख कर कोई ख़ुशी नहीं हुई. यहाँ तक की मैंने तो उन्हें अन्दर भी नहीं बुलाया. मैंने उन्हें बहार से ही भगा दिया.
और मेरी माँ ने धीरे से कहा की माफ़ कीजिये शायाद गलत घर मैं आ गयी हूँ. और वो चली गयी. एक दिन मुझे एक पत्र आया. मेरे स्कूल का रीयूनियन होने वाला था, मैं बहुत खुश हुआ. की अपने शहर जाकर दोस्तों से मिलुगा. रीयूनियन के बाद में उस पुराने घर गया, ऐसे ही पता नहीं क्यों, बस चला गया. वहा जाकर मुझे पता चला की मेरी माँ मर गयी है. मुझे तो बिलकुल भी दुःख नहीं हुआ, न ही एक आंसू निकला आँखों से.
उन्होंने मुझे एक पत्र दिया, जो मेरी माँ मुझे देना चाहती थी, पर दे नहीं पायी.“ मेरे प्यारे बेटे,
मैं हमेशा तुम्हारे बारे में ही सोचती रहती हूँ, तुम्हारी बहुत याद आती है बेटा, मुझसे एक बार मिलने आओ न. मैं माफ़ी चाहती हूँ की मैंने तुम्हारे घर आकर तुम्हारे बच्चो को डरा दिया, और तुम्हे परेशान किया. मुझे पता लगा है की तुम यहाँ आने वाले हो, पर मेरी हालत ऐसी है की मैं बिस्तर से भी उठ नहीं सकती हूँ. बीमार रहती हूँ. मैं माफ़ी चाहती हूँ की बचपन से आजतक तुम्हारे लिए परेशानी रही, तुम्हारा मजाक बना मेरी वजह से.
तुम जानते हो, जब तुम छोटे थे तो एक एक्सीडेंट में तुम्हारे पिता की मौत हो गयी, और तुम्हारी एक आँख चली गयी. मैं एक माँ हूँ बेटा, तुम्हे, अपने बच्चे को एक आंख के साथ बड़े होते हुए कैसे देखती भला, इसलिए मैंने अपनी एक आंख तुम्हे दे दी. और मुझे तुमपर बहुत गर्व है बेटा की तुम पूरी दुनिया को मेरी आँखों से देख रहे हो. या यूँ कहू के मेरे लिए इस पुरे जहाँ को देख रहे हो…
मुझसे मिलने आना बेटा.
बहुत बहुत प्यार..
तुम्हारी माँ.
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