शनिवार, 10 मार्च 2018

Upkar

उपकार

बहुत बड़ा देश है। उस देश में बहुत घनेवन हैं और उन वनोंमेंसिंह,भालू,गैंडा आदि भयानक पशु बहुत होते हैं। बहुत सेलोग सिंह का चमड़ा पानेकेलियेउसे मारते हैं। गरमी केदिनोंमेंहाथी जिस रास्तेझरनेपर पानी पीनेजातेहैं,उस रास्ते मेंलोग बड़ा और गहरा गड्ढा खोद देतेहैं, उस गड्ढेके चारोंओर भालेकेसमाननोंकवाली लकड़ियों को गाड़ देतेहैं। फिर गड्ढेको पतली लकड़ियोंऔर पत्तों सेढक देतेहैं। जब हाथी पानी पीने निकलते हैंतो उनकेदल में सबसेआगे-आगेचलरहा हाथी गड्ढेके ऊपर बिछी टहनियोंकेकारण गड्ढेको देख नहींपाता और जैसेही टहनियों पर पैर रखता है,टहनियाँ टूट जाती हैंऔर हाथी गड्ढेमें गिर जाता है। हाथी पकड़नेवालेउस हाथी को लाकर पहले कई दिनों भूखा रखतेहैं। गड्ढेमें भी हाथी कई दिन भूखा रखा जाता है,जिससेकमजोर हो जानेकेकारण निकलतेसमय बहुत उधमन मचाए। भूख के मारेहाथी जबछटपटानेलगता है,तबएक आदमी उसेचारा देनेजाता है। चारा देनेके बहानेवह आदमी हाथी सेधीरे-धीरेजान-पहचान कर लेता हैऔर फिर हाथी को वही सिखाता है। शिक्षा देनेकेबादहाथी को लोग बेच देतेहैं। कई बार हाथी पकड़नेके लियेजो गड्ढा बनाया जाता है,उसमेंरात को धोखे सेहिरन,नीलगाय,चीते या जंगल केदूसरेपशु भी गिर जातेहैं। गड्ढा बनाने वालेउन्हेंभी निकाल लातेहैं। हाथी पकड़ने वालोंनेअफ्रीका केजंगल मेंएक बार हाथी फँसाने केलियेगड्ढा बनाया और ढक दिया। रात में एक सिंह उस गड्ढेमेंगिर पड़ा। सिंह किसी छोटेपशु को पकड़नेदौड़ा होगा और भूल सेगड्ढेमेंजा पड़ा होगा। एक शिकारी उधर सेनिकला। उसनेसिंह को गड्ढेमें गिरा देखा। वीर पुरुषकिसी को दुख मेंदेखकर उसेमारतेनहीं,उसकी सहायता करतेहैं। सिंह बार- बार उछलता था,परन्तु गड्ढेकेचारोंओर गड़ी नोक वाली लकड़ियों सेउसेचोट लगती थी और वह फिर गड्ढेमें गिर जाता था।

शिकारी नेएक रस्सी मेंदो लकड़ियोंको बाँधा और पेड़ पर चढ़ गया। पेड़ पर रस्सी खींचकर उसनेलकड़ियाँ उखाड़ दी। शिकारी नेनीचेसे लकड़ियाँ इसलियेनहीं उखाड़ी कि कहींगड्ढेसेनिकलनेपर सिंह उसेमार न डाले। दो लकड़ियाँ उखाड़नेसेसिंह को रास्ता मिल गया। वह उछलकर गड्ढेसे बाहर निकलआया और जंगलमें चला गया। वही शिकारी एक दिन एक झरनेकेकिनारे पानी पीकर बंदूक रखकर बैठा था। वह बहुत थका था,इसलियेलेट गया और उसे नींद आ गयी। इतने मेंवहाँ एक चीता आया और शिकारी को मारनेकेलियेउस पर चढ़ बैठा, बेचारा शिकारी डर केमारेचिल्ला भी न सका। इतनेमें एक भारी सिंह जोर से गर्जा। उसकी गर्जना सुनकर चीता पूँछदबाकर भागने लगा पर सिंह चीतेकेऊपर कूद पड़ा और उसनेचीतेको मार डाला। शिकारी समझता था कि चीतेको मारकर सिंह अब उसेमारेगा, लेकिनसिंह आया और शिकारी केसामने बैठकर पूँछहिलानेलगा। शिकारी नेपहचान लिया कि यह वही सिंह है,जिसे गड्ढेमें सेनिकलनेमेंशिकारी नेसहायता की थी। सिंह जैसा भयंकर पशु भी अपने उपकार करनेवाले को नहींभूला था। तुम मनुष्य हो,तुम्हेंतो कोई थोड़ा भी उपकार करेतो उसेनहींभूलना चाहियेऔर उस परोपकारी की सेवा-सहायता करनेकेलिये सदा तैयार रहना चाहिये।

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