आज दिवस हे हिन्दी का.....
(तर्ज:- कसमें वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं, बातों का क्या) ( उपकार)
आज दिवस है हिन्दी का।
प्रिय स्वतंत्र इस राष्ट्र हिन्द ने,
वरण किया है हिन्दी का।।
घर में हो हिन्दी,देश में हिन्दी,
आज दिवस है हिन्दी का।।
संस्कृत ने ऽ।ऽ॥ संस्कृत ने जिसे जन्म दिया और
पाला प्राकृत - पालि ने।
अवध-बिहारी,ब्रज -भोजपुरी
पोषा मैथिल वाली ने।।
तुम भारत के ऽऽऽऽऽ
तुम भारत के भरत वीर हो,
रक्षण करना हिन्दी का।
घर में हो हिन्दी,दैश में हिन्दी
आज दिवस है हिन्दी का।।
युग भक्ति में ऽ।ऽ॥
युग भक्ति में शैशव बीता
बचपन छायावादी में।
रीति के रीते, मध्यकाल पर
चढ़ी प्रयोग की आंधी में।।
नवयुग में ऽऽऽऽऽ
नवयुग में नवयुवा बनाकर,
पुनर्बलन हो हिन्दी का।
घर में हो हिन्दी,देश में हिन्दी
आज दिवस है हिन्दी का।।
नव भारत केऽ।ऽ॥
नव भारत के राजकाज में
चलन बढ़ाएं हिन्दी का।
परदेशों में गर्व से बोलें
भाषण अपनी हिन्दी का।।
भावी पीढ़ी को ऽऽऽऽऽ
भावी पीढ़ी को भी बतलाएं,
स्वाभिमान सब हिन्दी का।
घर में हो हिन्दी,देश में हिन्दी
आज दिवस है हिन्दी का।।
प्रिय स्वतंत्र इस राष्ट्र हिन्द ने,
वरण किया है हिन्दी का।
घर में हो हिन्दी, देश में हिन्दी
आज दिवस है हिन्दी का।।
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रचियता :~ भोजराज वैष्णव
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