मेरी सादगी ही अंधेरों में रखती है मुझे
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इससे पहले कि मेरी जान जाये
ज़रा उनसे कह दो कि मान जाये ।
तूने नफ़रत से जो देखा तो मुझे याद आया
कैसे कैसे रिश्ते तेरी ख़ातिर मैं तोड़ आया हूँ ।
मेरी सादगी ही अंधेरों में रखती है मुझे
मैं जरा सा बिगड़ू तो मशहूर हो जाऊं ।
मेरे यार की फितरत ही निराली है
जब मेरा दिल जले तब उसकी दीवाली है.
ज़रा सा हट के चलता हूँ ज़माने की रिवायत से
के जिन पे बोझ डालूं मैं वो कंधे याद रखता हूँ ।
ख़ुद्दारी वजह रही कि ज़माने को कभी हज़म नहीं हुए हम
पर ख़ुद की नज़रों में यकींन मानो कभी कम नहीं हुए हम
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