एक आदमी रोज़ एक पत्थर से टकराकर गिर पड़ता था, फिर एक दिन... : रोचक क़िस्सा
पवन पंचारिया
एक गाँव में एक किसान रहता था. उसके पास एक छोटा सा खेत था. जिसमें फसलें उगाकर वह अपना भरण-पोषण किया करता था.
उसके खेत के बीचों-बीच में एक पत्थर का हिस्सा जमीन से ऊपर निकला हुआ था. कई बार खेत में काम करते हुए किसान उससे टकराकर गिर चुका था. लेकिन वह हमेशा उसे निकालना टाल जाता. उसे लगता कि वह पत्थर जिस चट्टान का हिस्सा है, उसे निकालने में जाने कितना समय और मेहनत लगेगी. बाद में फुर्सत में कभी वह इसे निकाल लेगा.
इस तरह पत्थर का वह हिस्सा जैसा का तैसा अपने स्थान पर रहा और किसान का उससे टकराकर गिरना भी ज़ारी रहा.
एक दिन की बात है. रोज़ की तरह किसान अपने खेत में हल जोतने आया और फिर जमीन से निकले उस पत्थर से टकराकर गिर पड़ा. उस दिन उसका मन पहले से ही उचाट था. गिरने के बाद उसे बहुत क्रोध आया और उसने निर्णय किया कि आज चाहे जितना समय लगे, जितना पसीना बहाना पड़े, वह इस चट्टान को निकालकर ही दम लेगा.
वह तुरंत गाँववालों के पास गया और उनसे सहायता मांगी. गाँव वाले सहर्ष तैयार हो गए और उसके खेत की ओर चल पड़े.
खेत में पहुँचकर किसान ने सबको जमीन से बाहर निकले पत्थर के हिस्से को दिखाते हुए कहा, “भाइयों! इस चट्टान ने मुझे बहुत चोट दी है. आज कैसे भी करके इसे उखाड़ फेंकना है.”
एक गाँव वाला सामने आया और फावड़े से उस पत्थर पर वार करने लगा. उसने एक-दो वार ही किये थे कि पूरा पत्थर जमीन से बाहर निकल आया. वह कोई चट्टान नहीं बल्कि एक छोटा सा पत्थर था.
यह देख गाँव वाले जोर-जोर से हंसने लगे और किसान का मज़ाक उड़ाने लगे कि उसके खेत की बड़ी सी चट्टान छोटा पत्थर कैसे बन गई.
किसान अपनी भूल पर शर्मसार होता रहा. उसने उस छोटे से मामूली पत्थर को निकालने का कभी प्रयास ही नहीं किया था, क्योंकि उसकी सोच में वह एक बहुत बड़ी चट्टान थी. उस दिन उसे दुःख हो रहा था कि उसके उसे निकालने का प्रयास पहले क्यों नहीं किया. अगर किया होता, तो इस तरह पूरे गाँव वालों के सामने उसे शर्मिंदा न होना पड़ता.
हमारे जीवन में भी छोटी-मोटी परेशानी और मुश्किलें आती रहती है. अक्सर हम उन्हें चट्टान की तरह बड़ा समझ लेते हैं और उन्हें सुलझाने का प्रयास करने के बजाय चिंतित हो जाते है. जबकि वास्तव में वे परेशानियाँ बहुत ही छोटी होती है और थोड़े से प्रयास से आसानी से हल हो सकती है. बाद में हमें पछतावा होता है कि छोटी सी वजह से हम व्यर्थ ही इतने समय तक चिंतित रहे. इसलिए जीवन में आने वाली छोटी-मोटी समस्याओं से लगातार ठोकर खाने से बेहतर है, उसके बारे में विश्लेषण कर उसका निदान कर निश्चिन्त हो जाना.
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