मां सरस्वती देती हैं इस दिन विद्या का वरदान
ऋतुराज वसंत के आगमन का प्रथम दिन वसंत पंचमी को माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण इस उत्सव के अधिदेवता माने जाते हैं। इस दिन विद्या और संगीत की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन अगर मां सरस्वती से सच्चे मन से वर मांग जाए तो वह जरूर अपने भक्तों की पुकार सुन उनकी मनोकामना पूरी करती हैं।
वसंत ऋतु में प्रकृति का सौंदर्य निखर उठता है। पक्षियों के कलरव, पुष्पों पर भौंरों का गुंजार और मादकता से युक्त वातावरण वसंत की अपनी विशेषताएं हैं। यह प्रकृति का त्योहार है।
इस दिन सामान्य पर्व-पद्धति के समान घर को साफ करके, पीले वस्त्र पहनकर, हवन करें। वसंत के वर्णात्मक छंदों का उच्चारण करके केशर या हल्दी मिश्रित हलवे के स्थायी पाक से आहुतियां दें।
अपनी सुविधानुसार दोपहर में सर्वजनों सहित पुष्पवाटिका में भ्रमण करें। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन कामदेव के साथ रति तथा सरस्वती पूजन भी होता है।
सरस्वती पूजन से पूर्व विधिवत् कलश की स्थापना करनी चाहिए। उत्तरप्रदेश में इसी दिन से फाग महादेव की पूजा आरंभ होती है, जिसका क्रम फागुन की पूर्णिमा तक चलता है।
वसंत पंचमी के दिन किसान लोग नए अन्न में गुड़ तथा घी मिलाकर अग्नि को समर्पित करते हैं। वसंत पंचमी हमारे आनंद के अतिरेक का प्रतीक है।
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