बुधवार, 28 फ़रवरी 2018

Pawan Panchariya ke alfaz 2018 koun bada h

बड़ा कौन

भूख,प्यास,नींदऔर आशा चार बहनें थीं, एक बार उनमें लड़ाई हो गई, लड़ती-झगड़ती वेराजा के पास पहुंचीं,एक ने कहा,मैंबड़ी हूं,दूसरी नेकहा मैंबड़ी हूं,तीसरी नेकहा, मैं बड़ी हूं,चौथी ने कहा,मैंबड़ी हूं,सबसेपहले राजा नेभूख सेपूछा,क्योंबहन,तुमकैसे बड़ी हो ? भूख बोली,मैं इसलिए बड़ी हूं, क्योंकि मेरेकारण ही घर मेंचूल्हेजलतेहैं, पांचों पकवान बनतेहैंऔर वेजब मुझेथाल सजाकर देते हैं,तबमैं खाती हूं,नहींतो खाऊं ही नहीं,राजा नेअपनेकर्मचारियोंसेकहा, जाओ,राज्य भर मेंमुनादी करा दोकि कोई अपनेघर मेंचूल्हेन जलाये,पांचोंपकवान न बनाये,थाल न सजाये,भूख लगेगी तो भूख कहांजायगी ? सारा दिन बीता,आधी रात बीती,भूख को भूख लगी,उसनेयहां खोजा, वहां खोजा; लेकिन खानेको कहींनहींमिला, लाचार होकर वह घर मेंपड़ेबासी टुकड़ेखाने लगी,प्यास नेयह देखा,तो वह दौड़ी-दौड़ी राजा केपास पहुंची,बोली,राजा!राजा ! भूख हार गई,वह बासी टुकड़ेखा रही है, देखिए,बड़ी तो मैं हूं,राजा ने पूछा,तुमकैसे बड़ी हो ?प्यास बोली,मैंबड़ी हूं क्योंकि मेरे कारण ही लोग कुएं,तालाबबनवातेहैं, बढ़िया बर्तानोंमेंभरकर पानी रखतेहैं और वेजब मुझेगिलास भरकर देतेहैं,तबमैं उसे पीती हूं,नहींतो पीऊंही नहीं, राजा नेअपने कर्मचारियोंसेकहा,जाओ,राज्य मेंमुनादी करा दो कि कोई भीअपनेघर में पानी भरकर नहींरखे,किसी का गिलास भरकर पानी न दे, कुएं-तालाबोंपर पहरेबैठा दो, प्यास को प्यास लगेगी तो जायगी कहां ?सारा दिन बीता,आधी रात बीती,प्यास को प्यास लगी,वह यहांदौड़ी,वहांदौड़,लेकिन पानी की कहां एक बूंद नमिली, लाचार वह एक डबरेपर झुककर पानी पीनेलगी,नींदनेदेखा तोवह दौड़ी-दौड़ी राजा केपास पहुंची बोली, राजा !

राजा ! प्यास हार गई,वह डबरेका पानी पी रही है, सच,बड़ी तो मैंहूं,राजा नेपूछा,तुम कैसेबड़ी हो? नींद बोली,मैंऐसेबड़ी हूंकि लोग मेरेलिएपलंग बिछवातेहैं, उस पर बिस्तर डलवातेहैंऔर जब मुझेबिस्तर बिछाकर देतेहैंतब मैंसोती हूं,नहींतो सोऊं ही नहीं,राजा नेअपनेकर्मचारियोंसेकहा, जाओ,राज्य भर मेंयह मुनादी करा दो कोई पलंग न बनवाये,उस पर गद्देन डलवाये ओर न बिस्तर बिछा कर रखे, नींद को नींद आयेगी तो वह जायगी कहां? सारा दिन बीता,आधी रात बीती,नींद कोनींदआने लगी,उसनेयहांढूंढा,वहां ढूंढा,लेकिन बिस्तर कहींनहींमिला, लाचार वह ऊबड़-खाबड़ धरती पर सो गई, आशा नेदेखा तो वह दौड़ी-दौड़ी राजा केपा पहुंची,बोली, राजा ! राजा !नींदहार गयी,वह ऊबड़-खाबड़ धरती पर सोईहै, वास्तव मेंभूख, प्यास और नींद,इन तीनोंमेंमैंबड़ी हूं,राजा नेपूछा,तुमकैसेबड़ी हो? आशा बोली, मैं ऐसेबड़ी हूंकि लोग मेरी खातिर ही काम करतेहैं, नौकरी-धन्धा,मेहनत और मजदूरी करतेहैं, परेशानियांउठातेहैं,लेकिन आशाके दीप को बुझनेनहींदेते,राजा नेअपने कर्मचारियोंसेकहा,जाओ,राज्य मेंमुनादी करा दो,कोई काम न करे,नौकरी न करे, धंधा,मेहनत और मजदूरी न करेऔर आशा का दीप न जलाये, आशा को आश जागेगी तो वह जायेगी कहां? सारा दिन बीता, आधी रात बीती,आशा को आश जगी,वह यहांगयी, वहां गयी,लेकिन चारोंओर अंधेरा छाया हुआ था,सिर्फ एक कुम्हार टिमटिमाते दीपक केप्रकाश मेंकामकर रहा था, वह वहां जाकर टिक गयी,और राजा नेदेखा, उसका सोने का दिया,रुपयेकी बाती तथा कंचन का महलबन गया,जैसेउसकी आशा पूरी हुई,वैसेसबकी हो.

समाप्त

Http://bhanekagaon.blogspot.in

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Share kre

हमारे इस ब्लॉगर पेज पर आप सभी का स्वागत है सभी से निवेदन है कि पेज की पोस्ट को पसंद करेंऔर शेयर कर

Shram Card Payment Status 1000 Kist: ऐसे चेक करें अपनी किस्त का पैसा

Shram Card Payment Status 1000 Kist: ऐसे चेक करें अपनी किस्त का पैसा February 15, 2025 by admin WhatsApp Group Join Now Telegram...