शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2018

दोहा doha 2018

दोहा ६४

गुरु समान दाता नहीं , याचक सीष समान ।
तीन लोक  की सम्पदा, सो गुरु दिन्ही दान ।।

अर्थ:
संपूर्ण संसार में गुरु के समान कोई दानी नहीं है और शिष्य के समान कोई याचक नहीं है । ज्ञान रुपी अमृतमयी अनमोल संपती गुरु अपने शिष्य को प्रदान करके कृतार्थ करता है और गुरु द्वारा प्रदान कि जाने वाली अनमोल ज्ञान सुधा केवळ याचना करके ही शिष्य पा लेता है

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